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कांग्रेस भाजपा की नूराकुश्ती में प्रदेश के किसान हो रहे परेशान : कोमल हुपेंडी

रायपुर : आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने केंद्र व राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कांग्रेस और भाजपा की नूराकुश्ती में प्रदेश के किसान परेशान हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि धान खरीदी के नाम पर जिस प्रकार राज्य व केंद्र सरकार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे है इससे साफ जाहिर हो रहा है कि दोनों ही पार्टियां किसान मुद्दे पर केवल राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं।प्रदेश सरकार किसानों के लिए बारदाना उपलब्ध नहीं कर पा रही है सीधे तौर पर किसान पिस रहा है।

कभी समर्थन मूल्य के नाम पर तो कभी बारदाने को लेकर किसान परेशान है।जो किसान धान बेच चुका है, उसके भुगतान में देरी की जा रही है। लेकिन दोनों ही सरकार चाहे वो भुपेश बघेल की कांग्रेस सरकार हो या भाजपा की केंद्र सरकार किसानों को छल रहे है ।राज्य सरकार ने वादा किया था 2500 में धान खरीदेंगे लेकिन वे आज केंद्र का बहाना बना रहे है वही यदि रमन सिंह जो कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है यदि किसानों के हित में सोचते तो केंद्र में उनकी सरकार है वह भी किसानो की सिफारिश कर सकते है। लेकिन ये दोनों ही एक दूसरे को किसानों का हितैसी बताते हुए दोसरोपन कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिस में लगे है कोमल हुपेंडी ने आगे और कहा की इन दोनों के बीच मे देश का अन्नदाता पीस रहा है जो कि गलत है

प्रदेश सह संयोजक सूरज उपाध्याय ने कहा कि जिस बारदाने का सरकार किसानों से 25 से 30 रुपये तक लेती है आज उन्ही किसानों से उसके बारदाने का 7.30 दाम लगा रही है ,जबकि उन्हें इससे अधिक दाम मिलना चाहिए।

प्रदेश संगठन मंत्री प्रफुल्ल बैस ने कहा धान खरीदी के मामले पर इस समय केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच जो नूराकुश्ती का खेल चल रहा है वह सिर्फ प्रदेश के किसानों को बेवकूफ बनाने के लिए है।केंद्र सरकार कहती है कि समर्थन मूल्य से अधिक दाम पर राज्य सरकार खरीदी नहीँ कर सकती इससे देश भर के मार्केट पर नकारात्मक असर पड़ेगा जबकि कृषि बिल के समर्थन में केंद्र सरकार कहती है कि किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य से अधिक पर बेच सकते हैं।

उधर राज्य सरकार का कहना है कि हम समर्थन मूल्य से अधिक पर खरीद नहीँ रहे किसान को लागत अनुदान दे रहे हैं, तकनीकी तौर पर राज्य सरकार सही है, पर राज्य सरकार 1दिसंबर से धान खरीदी कर रही है जबकि शासकीय कृषि कैलेंडर के हिसाब से अक्टूबर अंत तक पोस्ट हार्वेस्टिंग फसल बीमा कवर की समय सीमा खत्म हो जाती है।इस समय किसानों का जितना भी धान खुले आसमान के नीचे खरीदी के लिए रखा हुआ है प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित नहीं है।अगर फसल खराब हो जाती है तो फसल बीमा का 1रुपये का मुआवजा किसान को नहीँ मिलेगा।देर से धान खरीदी होगी तो भुगतान भी देर से होगा इसलिए किसान बाजार में अपनी देनदारी को लेकर भी भारी चिंतित हैं।

उधर केंद्र सरकार कहती है कि हम एक सीमा से अधिक मात्रा में धान खरीदी की अनुमति नहीं दे सकते इधर भाजपा की प्रदेश प्रभारी कांग्रेस की बघेल सरकार से मांग कर रही हैं कि प्रति एकड़ 25क्विंटल धान खरीदी की जानी चाहिए।कुल मिलाकर कर मतलब यह निकलता है कि केंद्र और राज्य सरकार एक दूसरे को नीचा दिखाने के खेल में व्यस्त हैं और किसानों की परेशानियों से उन्हें कोई मतलब नहीं है।

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