नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन नए कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है जिनमें कृषि विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ होंगे। कोर्ट के इस आदेश को सिंधु बॉर्डर पर मौजूद एक किसान ने उनके आंदोलन को खत्म करने का तरीका बताया है।
किसान ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए। यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले। जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
वहीं बुराड़ी ग्राउंड से भारतीय किसान यूनियन के सदस्य बिंदर सिंह गोलेवाला ने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट से विनती करना चाहेंगे कि कानूनों पर रोक नहीं बल्कि कोर्ट को कानूनों को रद्द करने का फैसला करना चाहिए क्योंकि डेढ़ महीना हो गया है सरकार इस पर कुछ सोच नहीं रही है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले में मंगलवार को भी सभी पक्षों को सुनने के बाद इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। पीठ ने कहा कि वह इस बारे में आदेश पारित करेगी।
प्रधान न्यायाधीश ने उन विशेषज्ञों के नाम भी बताए जो इस कमेटी में शामिल होंगे। उनके नाम हैं – कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवत और बी. एस. मान। कोर्ट द्वारा गठित समिति इन कानूनों को लेकर किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार करेगी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विरोध कर रहे किसानों से भी सहयोग करने का अनुरोध किया और स्पष्ट किया कि कोई भी ताकत उसे गतिरोध दूर करने के लिए इस तरह की समिति गठित करने से नहीं रोक सकती है। इस बीच, केंद्र ने कोर्ट को सूचित किया कि दिल्ली सीमा पर आंदोलनरत किसानों के बीच खालिस्तानी तत्वों ने पैठ बना ली है। केंद्र ने कोर्ट में दायर एक अर्जी में दावा किया है कि इस आंदोलन में खालिस्तानी तत्व आ गए हैं।