- पूर्णतः प्रदेश की जनता को कर्ज से दबाने वाला बजट है-सूरज उपाध्याय प्रदेश सहसंयोजक
रायपुर : आम आदमी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने कहा कि इस बजट से सरकार से काफी उम्मीदें थी लेकिन पहली बार बजट का आकार छोटा हुआ,एक बार फिर सरकार ने महिलाओं, युवाओं, बेरोजगारों के साथ शासकीय कर्मचारियों व प्रदेश की जनता से छल किया है।बजट पूरी तरह निराशाजनक है।गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के किचन पर सरकार ने डाका डाला है।
कोमल हुपेंडी ने कहा कि बस्तर में टाइगर बल की बात करने वाले भूपेश सरकार को पहले बस्तर में तैनात व आंदोलन के माध्यम से अपनी परेशानी जाहिर करने वाले पुलिस आरक्षक के बारे में सोचना चाहिए जिन्हें आज की महंगाई के दौर में महज लगभग 15 हजार रुपये महीने की पगार मिल रही है और वहीं साइकिल भत्ते के नाम पर 25 रुपये महीने दिया जा रहा है , क्या उनकी जिंदगी इतनी सस्ती है ।काफी उम्मीदें थी कि इस बजट में उनके लिए कुछ अच्छी घोषणा की जाएगी , लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।
जिस शराबबंदी का वादा करके सत्ता में आई, कांग्रेस शराबबंदी की ओर बढ़ने के बजाय उसी शराब के व्यापार में 600 करोड़ रुपए और अधिक कमाने का लक्ष्य निर्धारित कर रही हैं। लगातार अवैध शराब बिक्री के नाम पर गुंडागर्दी बढ़ रही है , जिसमें शराब माफियों को सरकार का समर्थन प्राप्त है।
प्रदेश सचिव उत्तम जयसवाल ने कहा पिछले वर्षों में महिलाओं के खिलाफ लगातार अनाचार, अपहरण, और हिंसा की घटनाएं बढ़ी है। थानों में अत्याचार करने वालो के खिलाफ लगातार आम आदमी पार्टी ने आवाज उठाई है ।पुलिस थाने को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की जरूरत है, उसपर सरकार ने कोई बात नहीं की है ।
कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में किये वादे में चिटफंड के द्वारा शिकार हुए लोगो के रकम लौटाने की बात की थी , उसका भी आज 2 साल हो जाने के बाद भी कोई जिक्र नही किया गया।
घोषणा पत्र के अनुसार व पिछले बजट के दौरान कहा गया था कि 2019 में किसानों के लिए एवं 2020 में कर्मचारियों के सभी विषयों पर वादा पूरा किया जाएगा। शिक्षकों को क्रमोन्नति,पुरानी पेंशन लागू करने की कार्यवाही, अनुकंपा नियुक्ति देने की बात कही थी , आज 1998 से लेकर जितनी भर्ती हुई थी उन सभी को आज तक न कोई पदोन्नति मिली है और न ही उन्हें समयमान वेतन दिया जा रहा है। उनके लिए इस बजट में कोई बात नहीं हुई है ।
किसानों के लिए इस बजट में जो राशि मिली, वह भी बेहद निराशाजनक है । राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अनुसार सभी फसलों के लिए बजट का प्रावधान किया जाना था परंतु जो राशि 5702 करोड़ का आवंटन हुआ, जिससे ये साफ है कि केवल धान उत्पादक किसानों को शामिल किया गया व जिन किसानों ने सरकार को धान नहीं बेचा उनके साथ अन्याय हुआ, खासकर सब्जी व फल उत्पादक किसानों को बाजार का सबसे ज्यादा जोखिम उठाना पड़ता है लेकिन उनके लिए इस न्याय योजना में कोई राशि नही रखी गई, बड़े दुर्भाग्य का विषय है ।
छत्तीसगढ़ का अभी भी लगभग 70% भूभाग सिचाई से वंचित है एवं मात्र 300 करोड़ की राशि नवीन सिचाई योजना के लिए बेहद ही कम व निराशाजनक है ।
प्रदेश सहसंयोजक सूरज उपाध्याय ने इस बजट को एक व्यापारिक बजट करार दिया व कहा कि जिस बजट में आम जनता को कोई राहत नही पहुंची है, ऐसे बजट की उम्मीद नही की गई थी । आज पूरे देश के साथ प्रदेश की जनता भी पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दामों से परेशान है यदि भूपेश सरकार आम जनता के हितों की सोचती तो इन पेट्रोल ,डीजल पर लगने वाले टैक्स पर कमी कर प्रदेश की जनता को राहत देने का काम करती ।पूरे कोरोना काल के दौरान अपनी छाती पीटकर- पीटकर ये बताते रहे कि इतनी महामारी के दौरान भी छत्तीसगढ़ में किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक संकट नही रहा परंतु बजट में इस बात का कोई प्रमाण नही दिख इसके विपरीत बजट का आकार छोटा होते देखा गया ।
इस बजट पर युवा टकटकी लगाए देख रहे थे कि भूपेश सरकार इसबार के बजट में उनके लिए खास करेगी लेकिन उन्हें भी निराशा हाथ लगी ,न रोजगार के कोई अवसर निकले और न ही बेरोजगारी भत्ता जो कांग्रेस की घोषणापत्र में है कि 2500 महीना बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा उसके बारे में कोई बात नहीं हुई।