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प्रमुख सचिव ने छात्र बन शिक्षकों से पूछा प्रश्न: क्या प्रमाण है हिमालय पर्वत पहले सागर था

रायपुर : स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने आज राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में सामाजिक विज्ञान विषय के राज्य स्तरीय प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी (पी.एल.सी.) की बैठक में कहा कि प्रत्येक शिक्षक हर दूसरे शिक्षक से अद्भुत, अपार क्षमता रखते हैं, कक्षा में एक ही विषय पर दो अलग-अलग शिक्षकों के समझाने के तरीकों में अंतर होता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए डॉ. आलोक शुक्ला ने स्वयं कक्षा 9वीं के छात्र बनकर प्रश्न किया कि क्या प्रमाण है जहां हिमालय पर्वत है, वहां पहले सागर था।

इसके अलावा धर्म निरपेक्षता और मौलिक अधिकार से संबंधित प्रश्न के उत्तर देने में शिक्षकों को पसीना आ गया। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा बारी-बारी से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के विषय-विशेषज्ञों से धर्म निरपेक्षता क्या है, मौलिक अधिकार, मानव अधिकार, सकल घरेलू आय से संबंधित प्रश्न कर शिक्षकों को कक्षा अध्यापन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया।

डॉ. आलोक शुक्ला ने उपस्थित राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, भूगोल, एवं इतिहास के विषय विशेषज्ञों से प्रोफेशनल लर्निग कम्यूनिटी की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक को जीवनभर लगातार सीखते रहना चाहिए। शिक्षक को अपने प्रोफेशन में माहिर रहने के लिए समय के अनुरूप अपने आप को अपग्रेड रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अभी समय की माँग है कि शिक्षा और शिक्षण को और बेहतर बनाने के लिए आधुनिक तकनीक को अपनाना जरूरी है। डॉ. शुक्ला ने प्रत्येक विषय के लिए विषयवार पीएलसी ग्रुप बनाकर एक दूसरे से सीखते-सिखाते रहने के लिए कहा।

उल्लेखनीय है कि प्रमुख सचिव के निर्देशानुसार राज्य स्तरीय सेकेण्डरी स्तर की पीएलसी बैठक पूर्व में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी विषय की हुई है। आज सामाजिक विज्ञान विषय के राज्य स्तरीय प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी की बैठक का यू-ट्यूब पर सीधा प्रसारण किया गया। जिसमें राज्य के दूरदराज के शिक्षकों ने भी देखकर समझा और लाभ लिया। बैठक में मुख्य रूप से आंतरिक संचालक एससीईआरटी डॉ. योगेश शिवहरे, टेक्निकल एक्सपर्ट सत्यजीत अय्यर, माध्यमिक शिक्षा मंडल के अधिकारी और कला समूह के विषय-विशेषज्ञ उपस्थित थे।

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