मनरेगा में प्रत्येक परिवार को 150 दिन काम और 15 दिन में दाम की गारंटी की मांग
रायपुर : छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति ने सौंपा ज्ञापन छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष हुलास साहू ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा शहर और आउटर के ब्लेक स्पॉट को खत्म करने और दुर्घटना रोकने अग्रसेन धाम चौक से जोरा अंडरब्रिज तक मुख्य सड़क के दोनों ओर सर्विस रोड प्रस्तावित है इसमें बदलाव कर अग्रसेन धाम चौक से सेरीखेड़ी रेलवे अंडरब्रिज तक ग्राम सेरीखेड़ी और हमारे आने वाले पीढ़ी के भविष्य को देखते हुए बदलाव कर सर्विस रोड़ सेरीखेड़ी तक बनाया जाए, क्योकि पेट्रोल पंप, सीतल सोप, बेसन मिल एवं बिहान ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से सेरीखेड़ी जाने हेतु मजबूरी वश गलत साईड वाहन चलाना पड़ता है, धरमपुरा और जोरा के प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में हमारे गाँव सेरीखेड़ी से 30 फीसदी बच्चे पढ़ने जाते है।
पालकों को हमेशा डर सा बना रहता है क्योंकि करीब 5-6 वर्षो से सेरीखेड़ी को डेंजर जोन(ब्लेक स्पॉट) के रूप में जिला प्रशासन ने चिन्हित किया था। करीबन आज तक 40 दुर्घटना हो चुकी है और दुर्घटनाए होते रहते है इस आवेदन में पिछले दुर्घटनाओं की छाया प्रति सलंग्न किया गया है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में चर्चा कर उचित निर्णय लेकर अग्रसेन धाम चौक से सेरीखेड़ी रेलवे अंडब्रिज तक सर्विस रोड़ के बनाये जाने के सम्बंध में और सेरीखेड़ी के भविष्य को देखते हुए उचित निर्णय नही लेने की स्थिति पर छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति एवं समस्त ग्रामवासी सेरीखेड़ी संयुक्त रूप से उग्र आंदोलन करने की बात कही।
समिति उपाध्यक्ष गोवर्धन पाल ने मनरेगा योजना के संबंध में ज्ञापन देते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा मनरेगा कानून के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को 150 दिवस की रोजगार देने का डिंडोरा पीटा जाता है जबकि इस सत्र में एक परिवार को 60 फिसदी से कम ही काम मिल पाया है । जिसकी हम पूरे छत्तीसगढ़ में हर जाबकार्ड धारी को 150 दिवस काम दिलाने व उक्त कार्य के बदले दी जाने वाली राशि को कार्य करने के 15 दिवस में देने की पूर्णतः गारंटी चाहते हैं। देखने में आ रहे हैं कि कई जगह तो दो से तीन साल तक मजदूरी भूगतान राशि बाकि है और मजदूर दर-दर भटक रहे हैं कहीं भी आवेदन करने पर कार्यवाही तक नहीं हो पा रहा है ।
प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए समिति के सचिव धर्मेंद्र बैरागी ने कहा कि वर्ष- 2020 – 21 के लिए छात्रों से जो शिक्षण शुल्क के साथ-साथ शाला विकास या प्रबंध शुल्क लिया गया है जिसे पालक कोरोना आपदा महामारी के दौरान बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी परेशानी झेलते हुए फीस का प्रबंध किए और जमा किए। लेकिन राज्य सरकार ने शुक्ल वापसी करने कहा था, कोरोना के चलते स्कूल तो खुला ही नहीं साथ ही आनलाईन पढ़ाई की आड़ में फीस वापसी की बात होने के बावजूद फीस पालकों को वापसी नहीं किया जा रहा है। जो पालकों के साथ अन्याय कहना ही उचित है। छत्तीसगढ़ के समस्त शिक्षण संस्थाओं द्वारा फीस वापसी के लिए आवेदन प्रस्तुत किये हैं । हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारे तीनों आवेदनों को गंभीरता से लेकर जल्द ही पहल कदमी ली जाएगी।टालमटोल की स्थिति में हम आगे चलकर कई जनसंगठनों से बात कर आंदोलन का रूख अख्तियार करेंगे।