‘मिशन स्वराज’ के मंच पर “जाति, धर्म और राजनीति” विषय पर हुई सार्थक वर्चुअल चर्चा – प्रकाशपुन्ज पाण्डेय
रायपुर : समाजसेवी, राजनीतिक विश्लेषक व ‘मिशन स्वराज’ के संस्थापक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया के माध्यम से यह बताया कि आज दिनांक 21 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजे, ‘मिशन स्वराज’ के मंच पर एक वर्चुअल चर्चा का सफल आयोजन किया गया जिसका विषय था, “जाति, धर्म और राजनीति”। इस विषय पर आयोजित चर्चा में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए एक विशिष्ट पैनल को आमंत्रित किया गया था। पैनल में जो लोग शामिल हुए थे उनका परिचय इस प्रकार हैं –
1. यवतमाल, महाराष्ट्र से अधिवक्ता क्रांति धोटे राउत, महाराष्ट्र प्रदेश महासचिव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (महिला विंग), 2. रायपुर, छत्तीसगढ़ से जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता और कबीर विकास संचार अध्ययन केंद्र, रायपुर, छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष कुणाल शुक्ला, 3. रायपुर, छत्तीसगढ़ से 17 साल से पत्रकारिता से जुड़े, भास्कर, पत्रिका, दूरदर्शन जैसे प्रतिष्ठानों के साथ काम किए व मानव तस्करी जैसे गंभीर विषय पर शोध करने वाले लेखक व पत्रकार विशाल यादव और 4. रायपुर, छत्तीसगढ़ से ही समाजसेवी, राजनीतिक विश्लेषक और मिशन स्वराज के संस्थापक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय।
इस चर्चा का निष्कर्ष यह निकला कि ऐसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हमेशा ही होती रहनी चाहिए। समाज को चुनाव में सही प्रत्याशी के चयन और अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए मतदान करना चाहिए न कि धर्म और जाति को ध्यान में रखते हुए। चर्चा से यह बात भी निकल कर आई कि आरक्षण को जातियों के आधार पर न करते हुए आर्थिक आधार पर ही होना चाहिए ताकि समाज में आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति का उत्थान हो पाए और वह भी मुख्यधारा में शामिल हो सके चाहे वह किसी भी धर्म का हो। यह भी निष्कर्ष निकाला गया कि कुछ सालों से देश में होने वाले ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक चुनाव केवल धनबल पर केंद्रित हो गए हैं।
जिससे प्रत्याशियों की गुणवत्ता में भारी कमी आई है क्योंकि जो व्यक्ति धन खर्च कर चुनाव जीत रहा है उसका ध्येय जनता की समस्याओं का समाधान करना व विकास करना नहीं अपितु अपने चुनावी निवेश को निकाल कर मुनाफा कमाना ही रह गया है। इसीलिए चर्चा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में अब जाति, धर्म दूसरी श्रेणी में आ गए हैं, यहां केवल धन को ही प्राथमिकता दी जाती है और देश में केवल दो ही जातियां हैं, एक अमीर जोकि और अमीर होता जा रहा है तथा दूसरा गरीब जोकि अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने में ही उलझा रहता है और चुनाव में शनैः-शनैः राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा इस्तेमाल होता रहता है।