धमतरी : कोरोना संक्रमण की आड़ में जिले के कुछ निजी अस्पताल के डाक्टर जरूरत नहीं होने के बाद भी मरीजों को रेमडेसिविर का इंजेक्शन लगा रहे हैं, जिससे उनकी जान पर खतरा मंडराने लगा है। यही नहीं इस इंजेक्शन का वे कालाबाजारी करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। जिला प्रशासन यदि इसे संज्ञान में लेकर जांच कराए, तो सच्चाई खुलकर सामने आ सकती है।
उल्लेखनीय है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग आपात स्थिति में किया जाता है। आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार अंतिगंभीर मरीज, जिनका फेफड़ा संक्रमण के चलते काम नहीं कर रहा है, उन्हें ही इस इंजेक्शन का डोज दिया जाना है। जिला अस्पताल के आईएलआई कोविड अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है, लेकिन यहां मरीजों की मृत्यु दर काफी कम है। सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों शासन की ओर से जिला स्वास्थ्य विभाग को 194 वायल रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई की गई, जिसमें से चिहिन्त अस्पतालों को डिमांड के अनुसार दवाई सप्लाई की गई है।
इसके बाद भी उनके द्वारा मरीजों की लिस्ट दिखाकर स्वास्थ्य विभाग से रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड की जा रही है। इससे भी इंजेक्शन की कालाबाजारी करने को लेकर इंकार नहीं किया जा सकता। उधर इंजेक्शन की अचानक खपत बढऩे से जिला प्रशासन भी हैरान है। जिला प्रशासन यदि निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या, इंजेक्शन की खपत और किस कारण से मरीज को रेमडेसिविर का इंजेक्शन लगाया गया है, इसकी पूरी रिपोर्ट मंगा ले तो निश्चित रूप से सच्चाई सामने आ जाएगी।