– अरबों रूपयों का धान खराब
– बर्बादी के कगार पर धान पैदा करने वाले किसान
– जान बूझकर बढ़ाई गई धान खरीदी तारीख, गोदाम तक नही लिए गए किराये पर
रायपुर : पहले सूखा, फिर अब दिसंबर महिने में प्राकृतिक आपदा के रूप में आए बेमौसम बारिश, और भूपेश बघेल की तानाशाही सरकार और गलत निर्णयों के चलते प्रदेश के किसानों को तबाही के कगार पर खड़ा कर दिया है। अव्यवस्था और भ्रष्ट नौकरशाही के चलते किसानों का अरबों रूपयों का धान इस बारिश में भींग गया और सरकार और उसकी सारी व्यवस्था हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है।
आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और विभिन्न माध्यमों से मिली सूचना के मुताबिक कांग्रेस की किसान विरोधी सरकार ने एक दिसंबर से 29 दिसंबर तक में मात्र 53 लाख टन धान खरीदी कर सकी है। सरकार के लचर व्यवस्था के कारण इनमें से सिर्फ 15 लाख टन ही उठाव हो पाया है शेष, 38 लाख टन धान खुले में रखे रखे भीग गए और अब सड़ने की नौबत आन पड़ी है। आप के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने 105 लाख टन धान खरीदी लक्ष्य लेकर जुमलाबाजी करने वाले भूपेश बघेल सरकार से पूछते हुए कहा कि धान का उचित रख रखाव और उठाव के लिए इस सरकार ने पर्याप्त संख्या में गोदामों की व्यवस्था क्यूं नहीं की?
राज्य के 1300 गोदाम है जिसमें 24 लाख टन क्षमता तक ही धान का रखाव हो सकता है यह जानते हुए भी पहले से इंतजाम की व्यवस्था क्यूं नहीं की ?
कोमल हुपेंडी ने कहा की भूपेश बघेल की एक व्यक्ति वाली सरकार को जबाव देना होगा। कांग्रेस को यह बताना होगा की राज्य का पूरा अमला सफेद हाथी की तरह क्यूं कार्य कर रहा है? जब तमाम संचार माध्यमों में यह एक हफ्ते पहले से पता चल चुका था कि दिसंबर के आखरी हफ्ते बारिश होगी तो धान को खराब होने से बचाने के लिए क्यूं पहले इंतजाम नहीं किए। क्यूं मुख्यमंत्री का आदेश का इंतजार करना पड़ा?
क्या प्रदेश के धान उत्पादक किसानों को बर्बाद करने के लिए धान खरीदी की तिथि एक महीने पीछे सरकाना पड़ा। क्यूं मुख्यमंत्री के क्षेत्र पाटन के बठेना धान खरीदी केंद्र में करोड़ों का धान बारिश में भींग कर बर्बाद हो गया। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत द्वारा दो-चार समिति प्रबंधकों को निलंबित करने से वे अपने जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं। भूपेश बघेल सरकार को किसानों का भींगा धान खरीदना होगा अन्यथा उनको हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी।
ऐसा नहीं कि इसी वर्ष धान बर्बाद हुआ है वर्ष 2019-20 में 80 हजार टन धान खराब हुए जिसकी कीमत 590 करोड़ रूपये है। जबकि एक 10 हजार टन क्षमता का गोदाम बनाने की लागत 2 करोड़ रूपये तक आती है यह जानते हुए भी बघेल सरकार ने न अधिक गोदाम निर्माण कराए न गोदाम किराये पर लिया। न किसानों को पर्याप्त बारदाने उपलब्ध करवा पायी है। भूपेश बघेल की सरकार किसान हितैषी नहीं किसान विरोधी सरकार है। जल्द ही सरकार ने किसानों के लिए उचित मुआवजा की घोषणा नहीं की तो पूरे राज्य भर में आप आंदोलन करेगी। आप के जिलाध्यक्षों ने भी इसको लेकर हामी भरी है।