नई दिल्ली : साल 2002 के गोधरा कांड के दौरान सामूहिक दुष्कर्म और परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को लेकर बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. बिलकिस बानो ने उच्चतम न्यायाय से आदेश पर फिर से विचार की गुहार लगाई है.
Bilkis Bano approaches Supreme Court, challenging the premature release of 11 convicts, who had gang-raped her & murdered her family members during the 2002 Godhra riots.Bano filed a review plea against the May order of SC which allowed Gujarat govt to apply 1992 Remission Policy pic.twitter.com/JKfXf55gr9
— ANI (@ANI) November 30, 2022
कोर्ट ने सुनाया था यह फैसला: गौरतलब है कि एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले में सजा 2008 में मिली थी, इसलिए रिहाई के लिए 2014 में गुजरात में बने कठोर नियम लागू नहीं होंगे. कोर्ट ने कहा था कि निया 1992 के ही लागू होंगे जिसके तहत गुजरात सरकार ने 14 साल की सजा काट चुके लोगों को रिहा किया था.
11 दुष्कर्मियों की रिहाई के मामले में बिलकिस बानो का कहना है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला है तो नियम भी वहां का ही लागू होना चाहिए, गुजरात का नियम यहां लागू नहीं होना चाहिए. इस मामले में बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में एक 13 मई के आदेश पर पुनर्विचार करने की याचना की है.
उम्र कैद की सजा काट रहे लोगों की रिहाई पर बिलकिस बानो ने अचरज जताया है. बानों ने कहा है कि उनके और उनके परिवार के लोगों से जुड़े मामले में जिन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी उनकी समय से पहले रिहाई से उन्हें बहुत दुख पहुंचा है. विलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.