बेंगलुरु: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को इस बात पर जोर दिया कि भावी संपदा सृजनकर्ताओं को महात्मा गांधी की जीवन के बारे में शिक्षा को आत्मसात करना चाहिए जो व्यवसाय की नैतिकता से बेमेल नहीं हैं. यहां भारतीय प्रबंध संस्थान, बेंगलुरु के स्वर्ण जयंती समारोह के तहत उसके स्थापना सप्ताह का उद्घाटन करने के बाद मुर्मू ने कहा कि गांधीजी के लिए नैतिकता के बिना सफलता पाप थी.
उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया आज गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, चाहे वह जलवायु परिवर्तन का अस्तित्व संबंधी वास्तविक संकट हो या गिरती मूल्य प्रणालियों की अधिक अमूर्त नैतिक चुनौती हो. व्यावसायिकता के कठोर आवेगों से प्रेरित संघर्षग्रस्त दुनिया में, भारत दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण देता है.”
उन्होंने कहा, ‘‘आपमें से जो लोग दुनिया के भावी संपदा सृजनकर्ता बनने जा रहे हैं, मैं इस बात पर जोर दूंगी कि आपको महात्मा गांधी की जीवन के बारे में शिक्षा को अवश्य आत्मसात करना चाहिए जो व्यवसाय की नैतिकता से बेमेल नहीं हैं. गांधीजी के लिए नैतिकता के बिना सफलता पाप थी.”
मुर्मू ने छात्रों को पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में उत्कृष्टता का लक्ष्य रखने और आईआईएम बैंगलोर के साथ उनके जुड़ाव के साथ आने वाली महान विरासत पर खरा उतरने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि उन्हें विरासत में मिली दुनिया के बारे में शिकायत नहीं करनी चाहिए बल्कि अपने पीछे एक ऐसी दुनिया छोड़नी चाहिए जहां आने वाली पीढ़ियों के पास शिकायत करने के लिए कुछ न हो और जहां वे सद्भाव, आशावाद, समृद्धि और समानता के साथ रह सकें.
मुर्मू ने आईआईएम बैंगलोर में एन एस राघवन सेंटर फॉर आन्ट्रप्रनरीअल लर्निंग की महिला उद्यमियों और अधिकारियों के साथ भी बातचीत की. राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईएम बेंगलुरु प्रबंधन प्रतिभा और संसाधनों का पोषण और प्रोत्साहन कर रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों में, इसने न केवल प्रबंधकों को बल्कि नेताओं, नवप्रवर्तकों, उद्यमियों और परिवर्तन लाने वालों को भी तैयार किया है.
उन्होंने कहा कि इस संस्थान में शिक्षा न केवल कक्षा, कार्यस्थल और बाज़ार में, बल्कि जीवन के हर कल्पनीय क्षेत्र की समस्याओं, चुनौतियों और मुद्दों से निपटने के लिए सर्वोत्तम मस्तिष्क तैयार करती है.