‘हम बनाये हैं, हम ही संवारेंगे’इस मूल मंत्र पर छत्तीसगढ़ के लिये बनायेंगे योजना: साय
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‘हम बनाये हैं, हम ही संवारेंगे’इस मूल मंत्र पर छत्तीसगढ़ के लिये बनायेंगे योजना: साय

रायपुर ।  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर राज्य की नक्सली छवि को मिटाने का संकल्प व्यक्त करते हुये कहा है कि भविष्य में इसके लिये हम कार्य योजना बना रहे हैं और आचार संहिता समाप्त होने के बाद युद्ध स्तर पर इस दिशा पर हमारी सरकार काम करने जा रही है और आने वाले पांच साल में ‘हम ही बनाये हैं, हम ही संवारेंगे’ के मूल मंत्र पर काम करेंगे। साय ने कहा कि नक्सली प्रदेश की जो छवि सामने आती है, उस छवि से राज्य को उबारना निहायत जरूरी है, इसके लिये सरकार, राजनीतिक दल, मीडिया जगत, समाज और जनता सभी को काम करना पड़ेगा।  साय ने यूनीवार्ता के साथ खास बातचीत में कहा, “ हमें छत्तीसगढ़ की नक्सली प्रदेश वाली छवि को सुधारने की सख्त जरूरत है। यह बहुत खराब लगता है कि जब आप अपना परिचय देते हैं, यह बताते हैं कि हम छत्तीसगढ़ से हैं और सामने वाला नक्सल प्रभावित राज्य से ताल्लुक रखने पर आप पर ज्यादा ध्यान नहीं देता। ” मुख्यमंत्री ने बताया कि हमारी सरकार राज्य की छवि सुधारने पर काम करने जा रही है और आने वाले पांच साल में ‘हम ही बनाये हैं, हम ही संवारेंगे’ के मूल मंत्र पर काम होगा, जिससे राज्य की छवि में काफी हद तक छवि में निखार आयेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक ग्रामीण परिवेश के विशुद्ध आदिवासी जमीनी कार्यकर्ता को प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी है। उन्होंने कहा, “मैं उस विश्वास पर खरा उतरने के लिये जी-जान लगा दूंगा, हमारी सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों के भारत के साथ-साथ उनके सपनों के छत्तीसगढ़ को गढ़ने के लिये कृत संकल्प है, केंद्र सरकार की तरह राज्य में भी मिशन 2047 का छत्तीसगढ़ बनाने के लिये योजना बन रही है। साय ने बताया कि लोक सभा चुनाव की आचार संहिता की अधिसूचना समाप्त होने के बाद सभी विभागों से कार्य योजना मंगायी जायेगी, जिसमें मिशन 2047 की छाप होगी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की जो तस्वीर एक नक्सल प्रभावित प्रदेश के रूप में स्थापित है, उसे खत्म करना चाहते हैं। साय कहते है रत्नगर्भा माँ है, छत्तीसगढ़, धान का कटोरा है, छत्तीसगढ़, प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है, छत्तीसगढ़, प्रभु राम की माता कौशल्या की पावन भूमि है, छत्तीसगढ़, पर्यटन की पर्याप्त सम्भावनाओं वाला प्रदेश है, छत्तीसगढ़, प्रचुर मात्रा में कोयला ,लोह अयस्क, डोलोमाइट, बॉक्साइट, चूना पत्थर टिन का खनन करता है। छत्तीसगढ़ महतारी का हिस्सा कोयला उत्पादन में 21.09 प्रतिशत, लौह अयस्क में 17.61 प्रतिशत, चूना पत्थर में 11.70 प्रतिशत, बॉक्साइट में 03.57 प्रतिशत तथा टिन अयस्क में शत-प्रतिशत रहा है। राज्य की पहचान नक्सल राज्य के रूप में स्थापित किया जाना दुर्भाग्य है। साय ने कहा कि कभी पूरे छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का साया रहा होगा, लेकिन आज बस्तर संभाग के दो तीन जिलों के कुछ हिस्सों में ही नक्सलवाद सिमट गया है। हमारी सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कई जिलों में नक्सलियों की ऑपरेशन घर वापसी का कार्यक्रम चला रही है। भोले-भाले ग्रामीण अदिवासी जो बहकावे में कहिये या अज्ञानता में नक्सली बन गये हैं। उन्हें वापस लाने उनके पुनर्वास की योजना पर एक नयी कार्य योजना बनाने पर काम किया जायेगा। चुनाव आचार संहिता की अधिसूचना समाप्त होने के बाद प्रदेश के गृह मंत्री और प्रदेश के वरिष्ठ और अनुभवी पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकर नये सिरे से नक्सल विचारधारा छोड़कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ने वालों के लिये पुरानी योजनाओं का मूल्यांकन कर नये सिरे से पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाये जायेंगे। छत्तीसगढ़ 2047 में कैसा होगा, इस पर विचार-मंथन करने के बाद ठोस कार्ययोजना बनाने का आदेश दिया गया है, बैठकें चल रही हैं, जल्द ही समस्त विभागों के मंत्रालयों में काम प्रारंभ हो जायेगा। छत्तीसगढ़ को 2047 तक सबसे बेहतर विकसित आदर्श राज्य के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य बनाया गया है।

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