रायपुर: संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने आज महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर स्थित सभागार में छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक संत परंपरा विषय पर आयोजित दो दिवसीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की संगोष्ठी से जनमानस में नए विचारों का जन्म होता है। संतों की विरासत को हर पीढ़ी तक ले जाना चाहिए। संगोष्ठी की अध्यक्षता संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने की। संगोष्ठी में पहले दिन कुल 12 शोध पत्र पढ़े गए।
संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने कबीर की पंक्तियों को गाकर आयोजन की महत्ता से अवगत कराया। संस्कृति सचिव अन्बलगन पी. ने संगोष्ठी के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि पविर्तन और सोच हर तीन से पांच वर्ष में बदलते रहते है।
संगोष्ठी के प्रथम अकादमिक सत्र की अध्यक्षता डॉ. सुशील त्रिवेदी ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में महाजनपद काल से लेकर आधुनिक काल तक की ऐतिहासिक संत परंपरा को रेखांकित किया। दूसरे सत्र में डॉ. ओमप्रकाश वर्मा ने स्वामी विवेकानंद, डॉ. बालचंद कछवाहा ने स्वामी आत्मानंद के जीवन यात्रा, मानवता के कल्याण के लिए किए गए कार्यों को अपने उद्बोधन के माध्यम से अवगत कराया। तीसरे सत्र के सत्राध्यक्ष डॉ. परदेशी राम वर्मा और वक्ता डॉ. अनिल भतपहरी थे।
उन्होंने गुरू घासीदास जी के अवदान को विस्तृत रूप से बताया। संगोष्ठी के प्रथम दिवस के कार्यक्रम का समापन गहिरा गुरू महिमा भजन, स्वामी विवेकानंद का अवदान गीत और पंथी नृत्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रो. केसरी लाल वर्मा, प्रो. रमेन्द्रनाथ मिश्र, डॉ. परदेशी राम वर्मा, सत्यभामा आडिल भी मंच पर उपस्थित थे।