बागपत। विवेक जैन
आजकल हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है। ठंड से बचाव के लिए कई लोग बंद कमरे में अंगीठी का इस्तेमाल करते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में इसका प्रयोग काफी किया जाता है, जो किसी के लिए भी घातक साबित हो सकता है।
बागपत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विभाष राजपूत ने कहा कि अगर सर्दियों में अंगीठी या कोयला जलाते हैं, तो सभी को सावधान रहना चाहिए, क्योंकि यह हर किसी के लिए काफी खतरनाक है। अंगीठी में इस्तेमाल होने वाले कोयले या लकड़ी के जलने से कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस के अलावा कई जहरीली गैसें निकलती है, जिससे जान जा सकती है। बताया कि यदि कोयला बंद कमरे में जल रहा है तो इससे कमरे में कार्बन मोनो ऑक्साइड बढ़ जाता है और ऑक्सिजन का लेवल घट जाता है। यह कार्बन सीधे ब्रेन पर असर डालता है और सांस के जरिए पूरे शरीर में फैल जाता है।
ब्रेन पर असर होने के कारण कमरे में सोया इंसान बेहोश हो जाता है। अंगीठी जलाते समय कमरे को पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे धीरे-धीरे कमरे का ऑक्सिजन खत्म हो जाता है और कार्बन मोनो ऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच कर खून में मिल जाती है। इस वजह से खून में हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और अंत में इंसान की मौत हो जाती है। अगर कमरे में एक से ज्यादा व्यक्ति सो रहे हैं तो ज्यादा देर तक आग न जलाएं, क्योंकि ज्यादा लोगों के होने से कमरे में ऑक्सिजन की और कमी हो जाती है।