युवा सकती ल परेरणा देवईया महान समाज सुधारक सुवामी विवेकानंद के विचार के प्रासंगिकता के सवाल हमेशा ओकर जयनती राषटीय युवा दिवस म उठथे, स्वामी विवेकानंद अउ ओकर बताए रददा अउ विचार ल जयनती के बाद भुला जाथे
आज 12 जनवरी के युवा मन के परेरणासोत, समाज सुधारक अउ युवा युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के जयनती हे ओकर जनमदिवस ल राषटीय युवा दिवस के रूप म मनावत आवत हन, युवा सकती के प्रणेता स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणात्मक सनदेश अउ विचार ल जानना हे अउ युवा मन तक पहुचना अब्बड़ जरूरी हे। स्वामी विवेकानंद जी युवा लइकामन ल कहे हे-
– उठव, जागव अउ तब तक रुकव मत जब तक तुमन अपन लक्षय ल पा नई लुहू।
– खुद ल कमजोर समझना अब्बड़ बड़े पाप हरे।
स्वामी विवेकानंद जी ह युवामन ल अपन विचार बतावत कहिस हे के युवा मन कोनो भी राषट, देश अउ समाज के बिकास अउ भागय निरमाता केहे हे, युवा सकती देस अउ समाज के ताकत होथे, युवा देस अउ समाज ल नवा सिखर म ले जाथे, युवा देस अउ समाज के आज हे त कल घलो हरे अउ भविष्य के निरमाता घलो हे युवा देस अउ समाज के जीवन मूलय के वास्तविक पहिचान घलो होथे, युवा मन म गहन ऊरजा अउ धार्मिक बिचार अउ महत्वकांक्षा ले लबालब भरे होथे, ओकर आंखी म भविष्य के सात रंग जइसनेहे इंद्रधनुषी सपना होथे। समाज ल सुघ्घर बनाय बर अउ राषट के निरमान म अब्बड़ जादा योगदान युवा मन के होथे, इतिहास ल पलट के देखबे त देस के आजादी के लड़ाई म युवा सकती मन अपन ताकत के परचय घलो दे हावे।
स्वामी विवेकानंद जी के युवा मन बर कहे सनदेस अउ बिचार ल हमर देस के नेता अउ समाज के नेता मन ह भुलागेहे आज के अभी के हालत ल अउ परिस्थिति ल गहराई ले देखबे त आज के हमर नेता अउ समाज के मुख्या के दिखाय के दांत अलग अउ खाय के दांत अलग हाव, आज के नेता अउ समाज के कुछ लोगमन अपन मतलब बर अउ नेता अउ मुख्या के कुरसी तक पहुचे बर देस के भविष्य युवा लइकामन ल लालच म फसा के ओकर भविष्य के साथ खेलत हे, परनतु देखत आवत हन के युवा लइकामन म बुराई अउ शैतान जनम लेवत हे, ओकर भीतर सहन सकती कम होवत हे, युवामन ह हर चीज ल अब्बड़ जल्दी पाना चाहथे अउ अब्बड़ जल्दी आघु बढ़े बर मेहनत नई करय अउ कठिन परिसरम के बदले म शार्टकट्स रददा खोजथे, भोग बिलास अउ आधुनिकता के चकाचौध आज के युवामन ल परभावित करत हे उच्च पद, धन दौलत अउ ऐशोआराम के जीवन ओकर आदर्श बन गेहे, युवा पीढ़ी भटकाव के रददा म बढ़त काबर जाथे , येकर एकठन कारण समाज घलो हरे जेन ह युवामन ल समाज के मुख्यधारा म जोड़े के बजाय ओकर उपेक्छा करत हे।
आज समाज के कुछु भी सामाजिक कारयकरम होथे त युवा लइकामन के भागीदारी शून्य के बरोबर रहिथे, आज देस के भविष्य कहे जाथे उही युवा लइकामन अपराध के रददा म चल पड़थे, येकर एक कारन बेरोजगारी घलो हरे, बेरोजगार युवा हताश हो जाथे आज युवा अपन बिचार ल रख नई पावय तेकर सती युवा लइकामन म निराशा अउ बेरोजगारी के कारन गलत रददा म जात देर नई लागय, जेकर परमुख कारण धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक नेता अउ समाजिक मुख्या घलो हरे , जेनमन युवामन के सोषण करत नेता अउ मुख्या बनथे अउ युवा लइकामन ल एक-एक करके छोड़ देथे। अईसने हाल म युवामन के अनुचित शोषण करथे अउ येकर सबले बड़े जिम्मेदार सरकार के साथ-साथ हमर समाज घलो हरे, जेन ह आज तक बिचार घलो नई कर पईस हे के हमर समाज के युवा लइकामन नशाखोरी के शिकार होवत हे अउ फेर अपन नशापानी के लत ल पूरा करे बर अपराध घलो कर बैईठथे, आये दिन खबर ले पता चलत रहिथे के चोरी, डकैती, आतंकवाद, बलात्कार अब्बड़ कन घटना म युवा मन के भागीदारी होथे, देश म होवत 60प्रतिशत आपराधिक घटना म युवामन की भागीदारी होवत पाय जाथे।
युवा लइकामन ल सुघ्घर रददा बतइया के जरूरत हे युवा मन के बुराई ल अचछाई म बदलना पड़ही, स्वामी विवेकानंद जी के सनदेश अउ विचार ल समाज के जरिये युवामन ल बताना पड़ही। काबर के युवा लइकामन के पास एक सुघ्घर देस अउ समाज सुघ्घर आकार दे बर बिचार, सदाचार, रचनातमकता अउ महान ऊरजा होथे, स्वस्थ युवा ही स्वस्थ राषट के निरमान कर सकथे। आज के युवा लइकामन म कल्पना के माध्यम ले युवा आशा ले भरे होथे, युवामन सामाजिक अउ राजनीतिक बदलाव लाय के छमता रखथे, युवामन ओकर भावी निरमाता हरे। स्वामी विवेकानंद जी म युवा लइकामन कहे रिहिस हे के- हे मोर वीर हृदय युवक, मोला बहुत विसवास हे के अब्बड़ काम करे बर तुहर मन के जनम होहे। कोनो मुसीबत ले नई डरना हे। उठव खड़ा होवव अउ काम करत रहव अउ आघु बढ़व। सुवामी जी कहे हे के महू चाहथव के सबो युवा बदल जाव। गांव अउ देस बदल जाय। समाज के नानुक सोच बदल जाय। युवा मन हमर देस अउ राज्य के संस्करीति, संस्कार अउ आस्मिता लोगन मन म बगरावव, ये काम ल हमर युवा पीढ़ी ल करे बर परही।