रायपुर : समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने विगत कुछ समय से चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर मीडिया के माध्यम से कहा है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और अगर इस देश में किसानों को ही अपने अधिकारों के लिए आंदोलित होना पड़े तो इससे चिंताजनक कुछ भी नहीं हो सकता है।
जिस देश में अन्नदाता परेशानी में है उस देश में खुशहाली कैसे रहेगी? पिछले लगभग चार महीनों से कड़ाके की ठंड में हमारे किसान भाई बहन अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलित हैं, लेकिन केंद्र सरकार अपनी हठधर्मिता को छोड़ने को तैयार नहीं है। क्या कुछ व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए ये मोदी सरकार द्वारा राज्य सभा में असंवैधानिक तरीके से पास करवा कर कृषि बिल लाया गया है? क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन में जब देश की जीडीपी – 23.9 प्रतिशत हो गई थी तब उस समय भी कृषि क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि किसानों के फायदे के लिए ऐसे कानून का क्या फायदा जिससे किसान ही खुश नहीं हैं? इस आंदोलन पर मोदी सरकार के अहंकारी रवैये के कारण पूरे विश्व में भारत की छवि धूमिल हो रही है, लेकिन केंद्र सरकार के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही है। हाल ही में कुछ अंतरराष्ट्रीय मशहूर हस्तियों द्वारा भी भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने के बाद मोदी सरकार तिलमिला गई है, लेकिन बावजूद इसके, अपनी ज़िद छोड़कर किसानों की मांगों को पूरा करने के बजाय बॉलीवुड की हस्तियों और क्रिकेटरों से मोदी सरकार के समर्थन में ट्वीट करवा रही है जिससे देश दो हिस्सों में बंटा हुआ दिख रहा है। आख़िर एक देश में देशवासियों आपस में ही लड़ रहे हैं, ये कहाँ तक उचित है?
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि भले ही काँग्रेस और समूचा विपक्ष मौजूदा समय में लचर दिख रहा है लेकिन आज भी उन दलों में संगठन मौजूद हैं। कांग्रेस और सभी विपक्षी दलों को पूरे देश में केंद्र सरकार की गलत नीतियों के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर कर आंदोलन करना चाहिए। इससे विपक्ष भी मजबूत होगा और संगठन में भी जान आएगी। किसानों के आंदोलन को कमजोर करने के लिए भाजपा का आईटी सेल भी भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से फैला रहा है। आख़िर ये हमारे देश के ही किसान हैं कोई दूसरे देशों के नहीं। तो फिर अपने ही लोगों से इतनी नफ़रत क्यों? देश में एक माहौल तैयार किया जा रहा है कि जो मोदी सरकार के पक्षधर हैं वे देश भक्त हैं और जो उनसे सवाल करें या उनकी नीतियों का विरोध करें उन्हें देशद्रोही या काँग्रेसी करार दिया जा रहा है। सनद रहे कि देश सर्वोपरि है कोई व्यक्ति नहीं क्योंकि ये विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि कांग्रेस को छत्तीसगढ़ से ही इस देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत करनी चाहिए। कांग्रेस के यहाँ पर 70 विधायक हैं। अगर सभी 70 विधायक आपसी महत्वाकांक्षा छोड़कर लामबंद होकर आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन करें तो ये संदेश राष्ट्रीय स्तर पर जाएगा और इससे दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को बल मिलेगा। किसान नेता राकेश टिकैत का भी यही मानना है कि किसान केवल दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में ही संगठित हैं इसलिए सरकारें मनमानी करती हैं लेकिन अगर पूरे देश में किसान और मजदूर वर्ग संगठित हो जाएँ तो सरकारें अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगी।
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि ‘ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि ‘एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष का होना अनिवार्य है।’ और एक पत्रकार, समाज सेवक और समीक्षक होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि देश में जो भी गलत हो उसके विरोध में देशहित और समाहित में आवाज उठाऊं चाहे इसके लिए मेरी आखिरी सांस तक संघर्ष करना पड़े।’