रायपुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते स्कूली बच्चों को घर बैठे ऑनलाइन शिक्षण सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित ’पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम को न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया बल्कि इस अभिनव कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर ई-गवर्नेंस अवार्ड भी मिला है।
यह अवार्ड आज उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क, पंजीयन रविन्द्र जायसवाल के हाथों प्रदान किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से संचालक लोक शिक्षण एवं प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा जितेन्द्र शुक्ला, सहायक संचालक समग्र शिक्षा डॉ. एम. सुधीश और एन.आई.सी. की वैज्ञानिक ललिता वर्मा ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। छत्तीसगढ शासन स्कूल शिक्षा विभाग की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला और पूरी टीम को बधाई दी है। मुख्यमंत्री बघेल ने इस पुरस्कार को छत्तीसगढ़ के सभी सक्रिय शिक्षकों को समर्पित किया है जिन्होंने एक उत्कृष्ट कोरोना वारियर के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा यह अवार्ड केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे विभिन्न नवाचारी प्रयासों की पहचान कर बेस्ट प्रैक्टिसेस को महत्व देते हुए उन्हें और विस्तारित करने के उद्देश्य से दस्तावेजीकरण कर दिया जाता है। अवार्ड के लिए चयन होने से पूर्व विभिन्न स्तरों पर कार्यक्रम का गहन मूल्यांकन करते हुए क्षेत्र में कार्यक्रम के प्रभाविता की स्थिति देखी जाती है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम द्वारा “पढई तुंहर दुआर” कार्यक्रम का शुभारंभ 7 अप्रैल 2020 को किया गया। छत्तीसगढ़ में 20 मार्च 2020 को स्कूलों के लॉकडाउन की घोषणा होते ही इस कार्यक्रम को शीघ्रताशीघ्र तैयार कर पूरा परीक्षण किया गया। इस कार्य्रकम को स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने कोविड लॉकडाउन के दौरान कार्यालयों के बंद होने की स्थिति में अपने निवास पर एन.आई.सी. और विभाग की टीम के साथ बहुत ही कम लागत में बिना किसी बाहरी एजेंसी की सहायता लिए पूरी तरह विभागीय संसाधनों से तैयार किया।
’पढई तुंहर दुआर’ की वेबसाईट में बहुत ही कम समय में शिक्षकों एवं बच्चों को जोड़ा गया। इस कार्यक्रम के विभिन्न घटकों के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य और निचले स्तर तक मीडिया सेल गठित किया गया। नोडल अधिकारियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को इस वेबसाईट से परिचय एवं पंजीयन कर उपयोग हेतु प्रेरित किया गया। वर्तमान में वेबसाईट में 25.97 लाख विद्यार्थी एवं 2.07 लाख शिक्षक जुड़े हुए हैं।
“पढई तुंहर दुआर” की वेबसाईट में कक्षावार एवं विषयवार बहुत सारी सीखने में सहायक सामग्री अपलोड की गयी है। यह सामग्री राज्य के शिक्षकों ने स्वयं अपने घरों में स्टूडियो स्थापित कर तैयार कर अपलोड की है। कोरोना के दौरान शिक्षकों ने तकनीक को बहुत जल्दी सीख लिया। नियमित ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन, गृहकार्य देना, गृहकार्यों की जांच कर बच्चों को फीडबैक देना, बच्चों को शंकाओं को पूछने और उनके समाधान प्राप्त करने के अवसर, प्रत्येक बच्चे का आकलन कर उसका रिकार्ड रख पाना, सभी पाठ्यपुस्तकों के पीडीएफ डाउनलोड करने जैसी बहुत सी सुविधाएँ इस वेबसाईट में दी गयी हैं।
छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन माध्यम के अलावा ऑफलाइन शिक्षा में भी बहुत से नवाचार शिक्षकों द्वारा किए गए हैं। इस कड़ी में मोहल्ला कक्षाओं का आयोजन, लॉउडस्पीकर के माध्यम से शिक्षा, बुल्टू के बोल, मिस्ड काल गुरूजी जैसे अनेकों नवाचार शिक्षकों द्वारा किए गए। लॉकडाउन की अवधि में शिक्षकों द्वारा बिना किसी शासकीय आदेश के बच्चों को विभिन्न वैकल्पिक साधनों के माध्यम से पढ़ाई के अवसर प्रदान किए गए हैं।
छत्तीसगढ़ में सामुदायिक सहभागिता का बहुत अच्छा उदाहरण इस कार्यक्रम के माध्यम से सामने आया। लोगों ने बढ़-चढ़कर बच्चों की पढ़ाई के लिए स्थान और सीखने में सहयोग करने हजारों की संख्या में स्व-प्रेरित शिक्षा सारथी की सेवाएं उपलब्ध करवाई। शिक्षकों को प्रेरित करने के उद्देश्य से इस कार्य में जुड़े शिक्षकों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। वेबसाईट के मुखपृष्ठ में प्रतिदिन दो ब्लॉग लिखकर अपलोड किया जाता है। जिसमें इस योजना के अंतर्गत बेहतर कार्य कर रहे विद्यार्थियों, शिक्षकों और अधिकारियों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित करते हुए उन पर ब्लॉग लिखा जाता है। कार्य्रकम से संबंधित विभिन्न गतिविधियों पर आधारित “शिक्षा के गोठ” नामक मासिक पत्रिका भी प्रकाशित की जा रही है।