महती नाम एवं गरिमा के अनुरूप,शिक्षा एवं साहित्य में नए आयाम,आविष्कार को जन्म देने प्रयोगशाला है, लाला जगदलपुरी जिला ग्रन्थालय

जगदलपुर । गत 13 फरवरी को बस्तर के सांस्कृतिक धानी जगदलपुर स्थित एवं शिक्षा के साथ साहित्य अभिरुचियों को लेकर बस्तर में नया आयाम गढ़ने प्रगति पथ पर गतिशील लाला जगदलपुरी ग्रन्थालय का मीडिया साथी के रूप में भ्रमण कर अवलोकन किया गया ।इस दौरान पत्रकार नवीन श्रीवास्तव ने वहाँ के प्रबंधन एवं अन्य कर्मचारियों से जानकारी भी ली । उन्होंने इस अवसर के लिए ग्रंथालय के प्रबंधन एवं अन्यों को साधुवाद देते हुए अपनी शुभकामनाएं भी दी।

इस अवसर पर भ्रमण पश्चात उन्हें स्मारिका,कांगेर का संसार हैरिटेज आप जगदलपुर भेट स्वरूप प्रदान किया गया। इस दौरान जिला ग्रन्थालय प्रभारी बीके डोंगरे जी,मोहम्मद हुसैन के साथ अन्य विज्ञजन ग्रन्थालय के पदाधिकारी कर्मचारी गण उपस्थित रहे ।उन्होंने विदुशेखर झा को भी इस हेतु धन्यवाद दिया ।

मौके को लेकर श्रीवास्तव ने अपने छात्र जीवन के समय को साझा करते हुए कहा की ग्रन्थालय आकर उन्हें पुरानी बातें याद आ रही है .. उनके पिताजी स्व.केशव लाल श्रीवास्तव जी एक लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार होने के साथ निरंतर लेखन धर्मिता से जुड़े रहे जिनके साहित्य प्रेम के चलते घर में ही उन दिनों लाइब्रेरी हुआ करता था। उन्होंने बताया उन दिनो जब मैं प्राइमरी स्कूल में था जहाँ कुछ शिक्षक गण उस लाइब्रेरी के सदस्य हुआ करते थे इसलिए स्कूल के प्रारंभिक दिनों में भी स्कूल जाते समय उनके बड़े से झोले नुमा बस्ते में कभी अज्ञेय, नागार्जुन विष्णु शाखा खांडेकर ,मोहन राकेश,मैक्सिम गोर्की या अन्यों की कोई किताबें होती तो कभी देवकीनंदन खत्री की प्रसिद्ध चंद्रकांता संतति या प्रेमचंद जी की कोई किताबें.. जिसे मैं स्कूल के पीछे बैठकर ही पढ़ते रहता था।

पत्रकार श्रीवास्तव ने कहा की उन्हें उम्मीद नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि शिक्षा के साथ स्वाध्याय, साहित्य अभिरुचि एवं गतिविधियों के साथ चिंतन मनन को दिशा देने अपने महती नाम के अनुरूप यह ग्रन्थालय किसी प्रयोगशाला से कम नहीं।

विदित हो कि वर्तमान में रात और दिन 24 घंटे यह ग्रंथालय अपने यहां पहुंचने वाले युवा विद्यार्थियों के लिए अनुकूल परिवेश गढ़ने के साथ सकारात्मक शैक्षणिक माहौल गढ़ रहा है। लाला जगदलपुरी ग्रन्थालय को लेकर जिम्मेदार व्यवस्था से जुड़े लोग, प्रबंधन लगातार बेहतरी के लिए प्रयासरत है यह सराहनीय है निश्चित है मिलजुलकर इसी तरह आगे भविष्य परिप्रेक्ष्य में यह ग्रन्थालय शिक्षा के साथ साहित्य सन्दर्भ में और भी देश,दुनियां में सार्थक सोपान को प्राप्त कर बस्तर का नाम रौशन करेगा।

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