रोजा रखने से प्यास, भूख, गर्मी आदि से हम जीवन में कभी भी हताश और परेशान नही हो सकते
सामर्थ्य के अनुसार रमजान में बीमार, लाचार, जरूरतमंदो की सहायता करने का किया आहवान
बागपत। रमजान का पाक महीना प्रारम्भ हो चुका है। मुस्लिम समाज में इस महीने को बड़ा ही पवित्र महीना माना जाता है। रमजान माह को खुदा की ईबादत का महीना बताया जाता है। इस पाक महीने में हर मुस्लमान रोजा रखता है।
मुस्लिम रीति-रिवाजों के जानकार और प्रसिद्ध समाजसेवी हाजी डाॅ जाकिर हसन ने बताया कि कुरान के अनुसार हर मुस्लिम व्यक्ति के लिये रोजे अनिवार्य किये गये है। कुछ विशेष परिस्थितियों में लोगों के लिये ये अनिवार्य नही है। बताया कि रोजा रखने वाला व्यक्ति बुद्धिमान और बालिग होना चाहिये। अल्पायु और मानसिक रूप से विकृत नही होना चाहिये। उसका स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिये। रोजा रखने वाला व्यक्ति बीमार आदि ना हो उसमें रोजा रखने की क्षमता हो। वह यात्रा पर ना निकला हो।
वह परेशानियों से दूर हो। मासिक धर्म वाली महिलाओं के लिये भी रोजे की अनिवार्यता नही है। रोजा रखने वाले व्यक्ति को अल्लाह पर पूर्ण विश्वास होना चाहिये। रोजा हमें इच्छाओं पर काबू पाना सिखाता है। रोजा रखने से प्यास, भूख, गर्मी आदि हमें जीवन में कभी भी हताश और परेशान नही करते, हम इन सबसे लड़ने के लिये तैयार हो जाते है और पूरे मन से खुदा की इबादत करते है। डाॅ जाकिर हसन ने बताया कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार रमजान में और उसके बाद भी भूखे, प्यासे, बीमार, लाचार, जरूरतमंद लोगों की मद्द जरूर करनी चाहिये। रमजान में की गयी नेकी का फल खुदा द्वारा कई गुना बढ़ा दिया जाता है।
डाॅ जाकिर हसन ने समस्त मुस्लिम समाज से आहवान किया कि रमजान में खुदा की दिल से ईबादत कीजिये और कौम व मुल्क की उन्नति के लिये दुआ कीजिये, हर प्रकार की परिस्थितियों में एकजुट रहिये। एक-दूसरे की सहायता कीजिये और वर्तमान में कोरोना महामारी से स्वयं को, परिवार को, परिचितों को और मुल्क को सुरक्षित रखने के लिये सरकार द्वारा दिये जा रहे निर्देशों का पालन कीजिये।