रेमेडिसविर मैजिक बुलेट नहीं, मृत्यु दर को नहीं करती कम: AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया

नई दिल्ली : कोरोना महामारी को लेकर चारों तरफ भारी हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि नए स्टडी में पाया गया कि कोरोना का संक्रमण हवा से अधिक फैलता है सरफेस का रोल कम है। इसलिए मास्क लगाएं, दूसरी बनाएं तथा बंद स्थानों पर कम रहें।

उन्होंने बताया कि अस्पतालों में भर्ती पर की गई स्टडी के अनुसार, दूसरी लहर में रोगियों को ऑक्सीजन की ज्यादा आवश्यकता पड़ रही है। वेंटिलेटर की से दूसरी लहर में पहली लहर की तुलना में कम आवश्यकता पड़ रही है। पहली लहर में 30 वर्ष से कम उम्र के 31 फीसदी लोग संक्रमित हुए थे। दूसरी लहर में 30 वर्ष से कम लोग 32 फीसदी संक्रमित हुए हैं। 30-40 साल के उम्र के लोग पहली लहर में 21 फीसदी और इस बार भी 21 फीसदी ही संक्रमित हुए हैं।

उन्होंने आगे बताते हुए कहा, ‘युवाओं में संक्रमण को लेकर इस बार पिछली बार की तुलना में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है। बुजुर्ग दूसरी लहर में भी अधिक संकट में हैं। रेमेडिसविर मैजिक बुलेट नहीं है। यह मृत्युदर को कम नहीं करती है। हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को ही देना ठीक है जो मोडरेट और गंभीर हैं, जिनका ऑक्सीजन सेचुरेशन गिर रहा है। शुरू के दिनों में नहीं 5 से 7 दिनों में देना चाहिए। शुरू में देंगे तो मृत्यु को बढ़ाता है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि रेमेडिसविर केमिस्ट के पास नहीं मिलनी चाहिए। ये अस्पतालों में मिलनी चाहिए। घर पर नहीं देना है। इससे रिकवरी जल्दी होती है, लेकिन कब देना है ये डॉक्टर तय करेंगे। प्लाज्मा इसका लिमिटेड रोल है।

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