ग्राम सभा को ताकत देकर सर्वोच्च ग्राम सभा बनाना होगा तब पूर्णस्वराज की सपना साकार होगी- धर्मेन्द्र बैरागी, सचिव छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति
रायपुर : छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष हुलास साहू हमेशा कहा करते है कि आज छत्तीसगढ़ गाँव-गाँव की दशा और दुर्दशा देखकर बहुत पीड़ा होती है। आखिर क्यो है छत्तीसगढ़ की पीड़ा, हम सब छत्तीसगढ़ को अपने महतारी कहते और मानते है इसीलिए छत्तीसगढ़ महतारी के पौने तीन करोड़ बेटी बेटा के साथ हो रहे अन्याय, भ्रष्ट राजनैतिक षडयंत्र, पतन होते प्रजातंत्र व संवैधानिक प्रावधानों तथा आदर्शों को, हम सब छत्तीसगढ़ महतारी के कायर बुजदिल, लाचार, गुलाम पुत्र नही है।
हमारी आँखों के सामने हमारे छत्तीसगढ़ के गाँवों की जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा को भ्रष्टाचार द्वारा लुटता रहे। भ्रष्टाचार को श्रय देने का मामला केवल विधानसभा तक सीमित नही है छत्तीसगढ़ ही नही अपितु छत्तीसगढ़ सहित सभी ग्राम पंचायतो में भ्रष्टाचारियों के ऊपर कार्यवाई नही हो रही है। लेकिन हकीकत यही है कि भ्रष्टाचार को पाला पोसा जा रहा है। भ्रष्टाचार दीमक बन चुकी है। सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ को अंदर ही अंदर खोखला कर रही है, जनप्रतिनिधि का उद्देश्य व्यवस्था देना नही बल्कि अपनी व्यवस्था करना है। अधिकारी भी रिश्वत मिलने पर व्यवस्था के आदेश जारी होते हैं।
लेकिन इसमें यह भी जोडऩा होगा कि जनप्रतिनिधियों के साथ जनता भी जिम्मेदार हैं। जनप्रतिनिधियों ने भी कर्मचारियों को इसलिए खुला छोड़ रखा है जिससे उनके तिजौरी में धन लक्ष्मी की बारिश होती रहे। अब तो हद हो गई एकदम निचले स्तर ग्राम पंचायत स्तर पर भी खूब भ्रष्टाचार हो रहा है भ्रष्ट नेता, भ्रष्ट प्रशासन और अपराधी ये तीनों की तिकड़ी ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मान बैठे है, यदि भ्रष्टाचार को मिटाना है तो एक बार फिर से हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देना होगा। राजनीति का भी शुद्धिकरण करना होगा। भ्रष्टाचारियो पर सख्त प्रहार बहुत जरूरी है
महात्मा गांधी ने ऐसी हिंसक पंचायती राज व्यवस्था की कल्पना नही थी जैसा कि आज छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायतों में दिखाई दे रही है पंचायतो को जिस तरह की राजनीति का आखाड़ा बना दिया है जिससे ग्रामीण समाज की एकता और अखंडता नष्ट हो रही है 80 फीसदी गाँवों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वीयों में दुश्मनी बढ़ रही है लोगो की समस्याओं और विकास को भुला कर आये दिन कमीशन के चक्कर मे वाद-विवाद के घटनाओं की सिलसिला बढ़ गई है ग्राम पंचायतों के पास पहुँच रही विभिन्न योजनाओं की धनराशि और उसकी बंदरबांट ने सत्ता और पैसे की प्रतिद्वंद्वीता को बढ़ाया है हमारे पूर्वजों ने जमीदारी प्रथा बन्द कर पंचायती राज व्यवस्था लाये थे पर ऐसा लगता है कि आज जमीदार की जगह सरपंच ले लिये है।
इसलिए आज गाँवों में अमीर-गरीब की फासला बढ़ रही है जाति, धर्म और आपसी भाईचारा की खाई गहरी होती जा रही है आजादी के 73 साल बाद भी आज प्रजा ही राजा कहना आसान है लेकिन असिलियत में प्रजातंत्र के स्वप्न के साथ पूर्ण स्वराज लागू ही नही हो सका। महात्मा गांधी ने देश की आजादी के बाद जिस तरह के गाँव, गाँव पंचायत और ग्रामसभा की कल्पना की थी उसका निर्माण आज तक नही कर सके है । तेहरवां वित्त आयोग सम्बंधित राज्य, पंचायत एवं नगरपालिका अधिनियम में संसोधन द्वारा स्थाननीय निकायों के लिए अलग से लोकपाल के गठन का प्रवधान करता है लेकिन छत्तीसगढ़ में लोकपाल की गठन को टालमटोल कर टालती आ रही है जिसके कारण भ्रष्टाचार करने वाले के ऊपर कार्यवाही नही हो रही है लोग जनपद, जिला पंचायत सीईओ, कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत लेकर जाते है कोई भी कार्यवाही ही नही होती है लेकिन गाँवों के आम आदमी अपनी समस्याओं के निपटारे के लिए जाए तो कहा जाए।
जब भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते है तो विरोधी बहुत बढ़ जाते है क्योंकि उनको लगने लगता है कि हमारी भ्रष्टाचार की दुकान कही बन्द हो न जाये। इसलिए हमें लोगो को रोकने के लिए कई तरह की हथकंडे अपनाते है क्योंकि भ्रष्ट नेता, भ्रष्ट प्रशासन और अपराधी माफिया ये तीनो की तिकड़ी नही चाहती कि पंचायती राज व्यवस्था में बदलाव हो। आज छत्तीसगढ़ में व्यवस्था परिवर्तन की बहुत जरूरत है इन सभी सवालों के जवाब हर उस आदमी के समझना जरूरी है जो छत्तीसगढ़ के गाँवों में व्यवस्था परिवर्तन के उम्मीद की किरण जगाए देख रही है कि एक दिन परिवर्तन होगा। मैं छत्तीसगढ़ के आम जनता से अपील करता हूँ कि अब आप सबको समझना जरूरी है कि हमे आगे अब क्या करना है अब सत्ता परिवर्तन में न उलझकर बहुत गहराई से समझना होगा कि यहां से छत्तीसगढ़ के गांवों को किधर जाना है- “सत्ता परिवर्तन”
गाँव मे बड़े बुजुर्ग कहा करते हैं कि जब बच्चा जवान हो जाये, बिगड़ने लगे और गलत राह पर चलने लगे, तो उनकी गृहस्थी बसा देना चाहिए। आइए उसी तरह हमारी पंचायती राज व्यवस्था भी बहुत बुरी तरह बिगड़ चुका है। अब समय आ चुका है कि जवान पंचायती राज की गृहस्थी बसाने की तैयारी करें। 24 अप्रैल को पंचायती की जन्मतिथि है 28 बरस का हो गया अपना पंचायती राज, लड़का जवान हो जाता है तो उसकी गृहस्थी बसाने की चिंता होने लगती है, समय आ गया है कि ग्रामसभा से उसकी सगाई कर दें। लेकिन इससे भी पहले जरूरी है कि हम इसे उस काम पर लगा दे, जिसके लिए इसका जन्म हुआ है पंचायती राज और ग्रामसभा की गृहस्थी बसाने पर यहां दोनों की मिलन से पवित्र ग्रंथ स्वराज पैदा होगी।
कल्पना कर सकते हो कि ग्रामसभा के बिना ही गाँवों का विकास और गाँव के लोगो का विकास सम्भव ही नही है जब ग्रामसभा में पूरे गाँव के लोग बैठ कर सभी निर्णय लेंगे तथा गाँव में कौन से विकास की जरूरत है, सरकार के सभी जनहित योजनाओं का कौन-कौन पात्र हितग्राही है इसका निर्णय ग्रामसभा में सभी मिलकर निर्णय लेंगे तथा पात्र हितग्राहियों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेंगे, इसके लिए जनता की सत्ता में भागीदारी जरूरी है पंचायती राज व्यवस्था ग्राम पंचायत से निकालकर स्वशासन की अनुरूप ग्रामसभा तक लाना होगा। तब हमारे महापुरुषों तथा महान नेताओ की स्वराज की सपना यही से साकर होते देखेंगे। तब ग्रामीण कह सकते है –
” हमर गाँव – हमर पंचायत
हमर ग्रामसभा – हमर भविष्य ”
छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति के सचिव धर्मेन्द्र बैरागी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा- कि छत्तीसगढ़ वासियों भ्रष्ट लोगो के भरोसे न रहे, आइए घर से निकलिए और अपने अधिकार की बात करिए और आप लोगो के लिए छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति का मंच तैयार खड़ी। छत्तीसगढ़ से ऐसे ढेरो उदाहरण दिए जा सकते है कि आज की पंचायती राज व्यवस्था किसी भी तरह से प्रशासन और राजनीति में लोगो की सीधी भागीदारी सुनिश्चित नही करती। लोगो को सीधे सत्ता देने के लिए कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और जनपद सीईओ और सरपंच की ताकत छीनकर कानूनन निर्णय लेने की ताकत ग्राम सभाओं को देनी होगी। तब हमे अच्छी शिक्षा, बेहतर इलाज, सभी को रोजगार, नशाबन्दी ग्राम, सभी प्रकार की मूलभूत सुविधा मिलेंगे, साथ ही अपराधों से भी मुक्ति मिलेंगे और इन सब कार्य को करने के लिए आप सभी से सादर निवेदन है कि आइए हमारे साथ जनहित संगठन से जुड़े तथा तन, मन, धन और समय के जरिये सहयोग करें। हम सब छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ियाँ संगठित होकर बदलाव के एक नया छत्तीसगढ़ का कीर्तिमान स्थापित करे। मेरा हमेशा यही कोशिश रहेगा कि छत्तीसगढ़ के पंचायती राज व्यवस्था में व्यवस्था परिवर्तन करेंगे तथा गाँव और समाज मे भी बदलाव लाएंगे।