रायपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने कोविड की वर्तमान हालातों को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा,भारत में कोविड-19 सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली ढहने की कगार पर है और यह तब जब देश का प्रधानमंत्री व पूरी भाजपा ये कहते नहीं थकता की भारत आत्मनिर्भर हो चुका है। विकास उपाध्याय ने कहा,दुर्भाग्य है आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में जब पूरे विश्व में साइंस व टेक्नोलॉजी कहाँ से कहाँ पहुँच गया है पर भारत देश का नागरिक ऑक्सीजन की कमी की वजह से मर रहा है।अब यह सोचने का समय है कि मोदी के हाथों देश कितना सुरक्षित है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय का आज यह बयान तब आया है जब भारत में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति पर विदेशी मीडिया में काफ़ी कुछ लिखा जा रहा है।
कई नामी अख़बार और मीडिया संस्थान विभिन्न तरीक़ों से भारत की स्थिति का आकलन कर रहे हैं।ब्रिटेन के अख़बार द गार्डियन ने इससे संबंधित ख़बर शीर्षक दिया है ‘भारत में कोविड की लहर होती भयावह, नए दैनिक मामलों का विश्व रिकॉर्ड।’अख़बार लिखता है कि ‘अस्पताल में व्यवस्था चरमराने की कगार पर हैं और भारत में बीते 24 घंटों में रिकॉर्ड मामले पाए गए हैं, जो कोरोना महामारी शुरू होने के बाद किसी भी देश में सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।’
विकास उपाध्याय ने इसे दुर्भाग्य कहा है कि आज भारत का नागरिक ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरने मजबूर है।प्रधानमंत्री मोदी देश की जनता को आत्मनिर्भर भारत की झूठी गाथा सुना कर गुमराह करते रहे। विश्व पटल पर 150 देशों को इस महामारी में मदत करने की झूठी बात कर वाह वाही बटोरते रहे और देश पीछे होते गया। विश्व के सभी देश अपनी सूझ बूझ से इस बीच सुरक्षा कवच तैयार करने लगे रहे और वे आज सब पूरी तरह सुरक्षित हैं पर हमारे देश का प्रधानमंत्री बंगाल में सत्ता हथियाने पूरे देश को मौत के दांव पर लगाते रहा।
विकास उपाध्याय ने कहा,जब देशी वैक्सीन विकसित हो चुका था तो विश्व के अन्य देशों से हम वैक्सिनेशन में पीछे क्यों हो गए क्योंकि मोदी सरकार की कोई राष्ट्रीय नीति ही नहीं बनी। भाजपा को सिर्फ सत्ता चाहिए न कि देश के लोगों की सुरक्षा और यही लापरवाही का ही नतीजा है कि पूरा देश आज भुगत रहा है।विकास उपाध्याय ने कहा,इस भयावह महामारी में मेडिकल व्यवस्थाओं को फ्री कर देने की जरूरत थी परंतु केन्द्र सरकार वैक्सीन के मूल्यों को लेकर भेदभाव करने से भी बाज नहीं आ रही है।