रायपुर : छत्तीसगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण और मरीजों की मौत को लेकर हाईकोर्ट सख्त हो गया है। सरकार की तमाम दलीलों के बाद आज कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ऑक्सीजन उपलब्ध कराना राज्य की जिम्मेदारी है। वह सुनिश्चित करे कि इसकी कमी से किसी मरीज की मौत न हो। चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की बेंच में हो रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा है कि उद्योगपतियों से सरकार सामंजस्य बनाए, जिससे ऑक्सीजन और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद मिले।
कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष विजय केशरवानी की हस्तक्षेप याचिका पर कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड होने में देरी हो रही है। ऐसे में सरकार व्यवस्था करे कि मरीज को उसकी रिपोर्ट 24 घंटे में भेजी जा सके। कोर्ट ने ऑक्सीजन, एंटीजन, RT-PCR व दूसरे जांच की दर निर्धारित करने के भी आदेश दिए। वहीं मरीज को बेड उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय व्यवस्था बनाने को कहा, जिससे हर जिले के CMHO आपस में जुड़ सकें।
याचिकाकर्ता की मुख्य मांग रेलवे की ओर से ट्रेन के 111 कोच में बनाए गए 400 बेड की मांग थी। इस पर कोर्ट ने साफ कर दिया कि राज्य और रेलवे की बैठक हो गई है। राज्य को अभी इन कोच की जरूरत नहीं है। जब आवश्यकता होगी, तब रेलवे को राज्य के नोडल अधिकारी अपनी जरूरत के हिसाब से प्रतिवेदन देंगे। इसके बाद रेलवे बेड की व्यवस्था करेगा। दूसरी ओर कोर्ट ने यह भी कहा है कि कोरोना से संबंधित जरूरी सामग्री राज्य सरकार के प्रतिवेदन पर केंद्र सरकार मुहैया कराएगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को महामारी अधिनियम के तहत पूरी शक्ति मिली हुई है। वे महामारी रोकने के लिए महामारी अधिनियम 2005 व 2020 के तहत निर्णय लें। जेल में बंद कैदियों को छोड़ने के लिए स्थानीय विचारण कोर्ट में आवेदन दिया जा सकता है। कोर्ट ने सभी विषयों पर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। पक्षकारों की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा, ASG रमाकांत मिश्रा, न्यायमित्र प्रफुल्ल एन भारत, संदीप दुबे, सुदीप श्रीवास्तव, अभिषेक सिन्हा, पलाश तिवारी, गौतम खेत्रपाल, आशीष श्रीवास्तव ने पक्ष रखा।
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