नई दिल्ली : हमारे देश में हिन्दू मुस्लिम के नाम पर ना जाने कितनी गहरी खाई पैदा हो गई है। लेकिन दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जो सभी धर्मों से परे हैं। इसकी एक अनूठी मिसाल इस दोस्त ने पेश की है।
दरसअल, कुछ दिन पहले इटावा के रहने वाले सिराज अहमद को उनके दोस्त हेम सिंह का फोन आया। फोन पर उन्हें हेम सिंह ने बताया कि वह कोरोना से ग्रसित है और इलाज के लिए उन्हें ₹2 लाख की जरूरत है। अपने दोस्त के स्वास्थ्य के बारे में जानकर सिराज भावुक हो गए और उन्होंने तुरंत ही ₹2 लाख ट्रांसफर कर दिए और उनसे जल्द मिलने की इच्छा जताई। लेकिन अचानक ही हेम सिंह को सांस लेने में तकलीफ होने लगी।
बीते शुक्रवार को इससे पहले सिराज हेमसिंह से मिल पाते उनकी मौत हो गई इटावा से लगभग 400 किलोमीटर का सफर तय करके प्रयागराज पहुंचने के बाद भी सिराज अपने दोस्त से नहीं मिल पाए। वहीं शनिवार सुबह अंतिम संस्कार का समय आया। ऐसे में सिराज अहमद एक-एक करके हेम सिंह के रिश्तेदारों को फोन लगाने लगे, लेकिन हेम सिंह की अर्थी को कंधा देने के लिए कोई भी तैयार ना हुआ।
इसके बाद उस दोस्त ने खुद ही अपने दोस्त का अंतिम संस्कार किया। वह भी हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक… अंतिम क्रिया के बाद सिराज 3 दिन तक हेम सिंह के घर पर ही रहे।
कौन थे हेम सिंह
प्रयागराज याने नगरी के जयंतीपुर इलाके के रहने वाले हेमसिंह हाईकोर्ट में जॉइंट रजिस्ट्रार के पद पर तैनात थे। वे अकेले ही रहते थे, क्योंकि कुछ साल पहले उनकी बेटी और उनकी बीवी की मौत हो गई थी। ऐसे में उनके पास कोई सहारा नहीं था।
उनके पास उनका एकमात्र दोस्त था सिराज अहमद। सिराज पेशे से बड़े ठेकेदारों में गिने जाते हैं।अलग-अलग धर्मों के होने के बावजूद इन दोनों की दोस्ती बचपन से ही लोगों के लिए मिसाल थी और हेम सिंह के मरने के बाद उनका क्रिया कर्म करके सिराज ने दोस्ती की एक नई परिभाषा दी है।