रायपुर : लोक कथाओं में अगर बात हो खासकर पुराणिक काल के प्रेमी-प्रेमिकाओं का वर्णन न हो तो वह कथा नीरस मानी जाती है। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में जहां लोरिक-चंदा की कथा प्रचलित है उसी तरह बस्तर में झिटकू-मिटकी की प्रेम कथा वर्षों से ग्रामीण परवेश में रची-बसी है। पीढ़ी दर पीढ़ी इनकी कथा बस्तर की वादियों में गूंज रही..
बस्तर का आदिवासी समाज झिटकू-मिटकी को धन का देवी-देवता मानते हैं। विभिन्न मेला-मंडई में आज भी झिटकू-मिटकी की पीतल और लकड़ी से बनी प्रतिमाएं बेचने के लिए लाई जाती हैं। ग्रामीण आज भी अपने परिवार की संपन्नता के लिए इन्हें देवगुड़ी में अर्पित करते हैं।दूसरे प्रदेशो से व छत्तीसगढ़ के विभिनय जिलों से बस्तर आने वाले हजारों सैलानी झुटकू -मीट की इन प्रेमियों की काष्ठ और धातु की मूर्तियां बड़ी आस्था के साथ अपने साथ ले जाते हैं।
सालो पुरानी इन प्रेमी प्रीमिकाओ का चित्रण, सत्य घटना पर आधरित एक अमर प्रेम कथा को फिल्मो के माध्यम से फिल्मांकित करने का बीड़ा उठाया है, युवा एनर्जेटिक डायरेक्टर राजा खान ने फिल्म को 1 जून से बस्तर की हसीन वादियों में फिल्माई जाएगी
फिल्म के निर्माता- शेष कुमार मरकाम, हुकुम मरकाम, राजू कोर्राम,
राइटर /डायरेक्टर राजा खान
हीरो- लाल जी कोर्राम, हीरोइन- लवली अहमद ,और इस फिल्म में अहम किरदार में संजय जैन कांकेर नजर आएंगे