रमजान : अलविदा जुमा की नमाज घरों में मुस्लिम भाईयों ने इबादत की

धमतरी. रमजान महीने के अलविदा जुमा के दिन शहर की विभिन्न मस्जिदों समेत घरों में मुस्लिम भाईयों ने इबादत की। गौरतलब है कि गर्मी की शिद्दत के बाद भी बड़ी तादात में मुस्लिम भाई रोजा रख रहे हैं। उनका कहना है कि रोजा रखने से दीन और दुनिया दोनों संवर जाती है।

रमजान के इस मुबारक महीने में मुस्लिम भाई इबादतें इलाही में मसरूफ हैं। घर-घर में इबादत हो रही है। गर्मी की तपिश सहते हुए वे रोजा रख रहे हैं। उनका कहना है कि अल्लाह ताआला ने उन्हें माहे रमजान जैसे मुबारक महीना अता फरमाया है। इस महीने में खुदा का सुक्रअदा करते हुए वे रोजा रख रहे हैं और अन्य इबादत कर रहे हैं। शुक्रवार तक 24 रोजा मुकम्मल हो चुका है।

7 मई को रमजान महीने का अलविदा जुमा के दिन शहर की जामा मस्जिद, मदीना मस्जिद, हनफिया मस्जिद और मस्जिद गरीब नवाज में कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए नमाजें जुमा अदा की गई। जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना गुलाम यजदानी ने अपनी नूरानी तकरीर में फरमाया अल्लाह तआला ने माहे रमजान जैसा मुबारक महीना मोमिनों को अता फरमाया है। इस महीने में की गई इबादतें बारगाहे रिसालत में कबूल होती है। रोजा से कल्ब संवरता है। ईमान को ताजगी मिलती है। बड़े खुशनसीब हैं वे लोग जो पाबंदी के साथ रोजा रख रहे हैं और इबादतें इलाही में मशरूफ हैं।

शब-ए-कद्र सोमवार को

सोमवार को शहर के सभी मस्जिदों में कुरआनपाक मुकम्मल हो जाएगा। हनफिया मस्जिद के पेश ईमाम मुफ्ती तौहिद आलम ने बताया कि रमजान का मुबारक महीना बड़ा तारीखी महीना है। अल्लाह पाक ने हमारी हिदायत के लिए अपना कलाम (कुरआन पाक) इसी मुबारक महीने में नाजिल फरमाया और इस महीने में एक रात ऐसी बाअज्मत बनाई, जिसमें इबादत करना हजारों महीनों की रातों में इबादत करने से बेहतर है, जिसे शबेकद्र कहा जाता है। यह पूरा महीना रहमत व नूर से ऐसा मामूर है कि इसका चांद नजर आते ही मोमिन के चेहरे पर ईमानी नूर जगमगाने लगता है। दिल में ईमान व यकीन की तब्दीली नजर आने लगती है। जो खैर व बरकत के एतबार से हजार महीनों से भी अफजल है।
रब का ईनाम पाने इबादत

अंजुमन इस्लामिया कमेटी के पूर्व सदर हाजी हारून उस्मान ने बताया कि रमजान इबादत का खास महीना है। इस मुबारक महीने में अल्लाह के बंदे अपने रब का ईनाम पाने के लिए नफ्ली इबादतें करते हैं। 11 महीने मस्जिद से दूर रहने वाले लोग भी अल्लाह की रहमत पर यकीन रखते हुए अल्लाह के घर में अपने सजदों के नजराने पेश करते नजर आते हैं। इस महीने अल्लाहतआला बेशुमार नेमते अता करता है।
कुरआनपाक नाजिल हुई

हनफिया मस्जिद के साबिक पेश इमाम मौलाना अल्ताफ रजा ने बताया कि रमजान मुबारक में शबे कद्र के दिन कुरआन मजीद लौहे-महफूज से आसमान पर नाजिल हुई। यह रात हजार महीनों की रातों से अफजल है।

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