रायपुर : रायपुर निवासी मरहम बबलू की 10 वर्षीय बेटी माही फातिमा एतेकाफ में बैठी थी घर पर ही..उसने रमजान के पूरे रोजे भी रखे..
जानिए एतिकाफ के मसाइल
- ऐतिकाफ का वक्त 20 वें रमज़ान के सूरज डूबने से शूरू होता है और ईद उल फितर का चांद दिखने पर खतम होता है, इस लिए एतिकाफ करने वाले के लिए जरूरी है कि वह रमज़ान की 20 तारीख को सूरज डूबने से पहले अपने एतिकाफ की जगह पहुंच जाए।
- औरत अपने घर की मस्जिद में ही ऐतिकाफ करेगी, घर की मस्जिद उस जगह को कहा जाता है जो जगह घर में उसने नमाज़ के लिए मुतअय्यन कर रखी हो !(नूरुल एज़ाह पेज 154)
- औरत घर में जिस जगह ऐतिकाफ कर रही है उसके लिए बिना किसी उज़र के उस जगह से बाहर निकलना मना है इस से उसका ऐतिकाफ टूट जायेगा !(तहतावी अलल मराकी पेज 699)
- औरत घर में जिस जगह ऐतिकाफ कर रही है वह उसी जगह बैठे बैठे घर के ज़रूरी काम सब्ज़ी काटना, खाना बनाना वगेरह कर सकती है(तबयीनुल हकाईक भाग 2 पेज 229)
- मर्द सिर्फ़ मस्जिद में ऐतिकाफ कर सकता है, और वह भी ऐसी मस्जिद होनी चाहिए कि जिसमें पांचों टाईम की नमाज़ जमात से अदा की जाती हो , मर्द के लिए घर में ऐतिकाफ करना जाइज़ नहीं !(नूरुल ईज़ाह पेज 153)
- अगर कोई ऐसी मस्जिद में ऐतकाफ कर रहा है कि जिस में पांचों टाईम की नमाज़ तो होती है मगर जुमा की नमाज़ नहीं होती तो उसके लिए जुमा पढ़ने के लिए सब से करीब दूसरी ऐसी मस्जिद में जाना जाइज़ है जिस में जुमा होता हो, मगर नज़दीक वाली मस्जिद छोड़ कर दूर वाली में ना जाए, और ऐसे टाईम में जाए कि उस मस्जिद में जुमा से पहले वाली चार रकात सुन्नत पढ़ कर जुमा में शरीक हो जाए और बाद वाली सुन्नतें पढ़ते ही फौरन वापस आ जाए !(तहतावी अलल मराक़ि पेज 702)
- ऐतिकाफ करने वाला अगर किसी शरई उज़र,(जुमा पढ़ने जाने वगैरह) या तबई (पैशाब पाखाने के लिए )ज़रूरत वगैरह के बिना मस्जिद से बाहर निकलेगा तो उसका ऐतिकाफ टूट जायेगा,(तहतावी अलल मराकी पेज 702)
- ऐतिकाफ करने वाला पाखाना, पेशाब, वुज़ू , और नापाकी से गुसल के लिए मस्जिद से बाहर जा सकता है पर फारिग होते ही फौरन मस्जिद में आ जाए वरना उसका ऐतकाफ टूट जायेगा !(तहतावी अलल मराकी पेज 702)
- ऐतिकाफ करने वाला नमाज़े जनाज़ा में शरीक नहीं हो सकता, हां अगर इस्तिंजा या वुज़ू वगेरह के लिए मस्जिद की हद से बाहर निकला हो और नमाज़े जनाज़ा तैयार हो तो उसमें शरीक हो सकता है पर नमाज़ के बाद वहां से फौरन मस्जिद में आ जाए वरना उसका ऐतिकाफ टूट जायेगा !(तहतावी अलल मराकी पेज 702)
- ऐतिकाफ करने वाला किसी बीमार की इयादत के लिए मस्जिद से बाहर नहीं जा सकता इससे उसका ऐतिकाफ टूट जायेगा, लेकिन अगर इस्तिंजा, या वुज़ू वगेरह के लिए मस्जिद से बाहर गया है और वहां पर कोई बीमार मिल जाए तो उसका हाल चाल पूछ सकता है,पर इस के बाद फौरन मस्जिद में वापस आ जाए वरना उसका ऐतिकाफ टूट जायेगा !( तहतावी अलल मराकी पेज 702)
- ऐतिकाफ करने वाले को अगर एहतिलाम यानी सोते हुए गुसल की हाजत हो जाए तो उससे ऐतिकाफ नहीं टूटेगा फौरन मस्जिद से बाहर जाकर गुसल करके आ जाए !(हिंदीया भाग 1 पेज 213)
- ऐतिकाफ करने वाला मोबाईल पर ज़रूरी बात कर सकता है, लेकिन बिना किसी ज़रूरत के मोबाईल इस्तेमाल ना करे !
- अगर ऐतिकाफ करने वाले को घर से कोई खाना लाने वाला ना मिले तो वह खाना खाने के लिए घर जा सकता है, लेकिन बेहतर है कि खाना मस्जिद में लाकर खा ले ! (तहतावी अलल मराकी पेज 384)
- अगर ऐतिकाफ करने वाले ने जान बूझकर रोज़ा तोड़ दिया तो उसका ऐतिकाफ भी टूट जायेगा !(बदाईउस सनाएअ भाग 2 पेज 286)
- ऐतिकाफ करने वाली औरत को चाहिए कि अगर ऐतिकाफ के दौरान उसकी माहवारी शुरू होने के दिन आने वाले हों तो उन दिनों में ऐतिकाफ शुरू ना करे बल्कि पाक होने के बाद ऐतिकाफ शुरू करे,लेकिन अगर ख़िलाफ़े आदत उसको ऐतिकाफ के दौरान माहवारी शुरू हो जाए तो उसका ऐतिकाफ टूट जायेगा, और बाद में उसको सिर्फ़ उसी दिन की क़जा करनी होगी जिस दिन उसका ऐतिकाफ टूटा था !(शामी भाग 3 पेज 437)
- ऐतिकाफ की हालत में बीवी से हमबिस्तर होना जाइज़ नहीं है, इस से उसका ऐतिकाफ टूट जायेगा !(नूरुल ईंज़ाह पेज 154)