सफाई काम किया, कोरोनाग्रस्त हुए और अब मजदूरी नहीं : सुरक्षा किट देने और श्रम कानूनों का पालन करने की मांग की माकपा ने

कोरबा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरबा नगर निगम में मिशन प्रेरक के रूप में कार्य कर रही 400 से अधिक महिला सफाई मजदूरों को सुरक्षा किट देने और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के संबंध में प्रदेश में लागू श्रम कानूनों का पालन करने की मांग निगम प्रशासन से की है।

आज यहां जारी एक बयान में माकपा के कोरबा जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि ये सफाई मजदूर न केवल वार्डों में जाकर घर-घर जाकर कचरा संग्रहण का काम करती है, बल्कि इसका पृथक्कीकरण करके निस्तारण के काम तथा गोबर संग्रहण केंद्रों में भी सहयोग करती है।

माकपा नेता ने कहा है कि इस कोरोना संकट के समय पूरे देश में कोरोना योद्धा के रूप में उनकी प्रमुख भूमिका सामने आई है। लॉक डाऊन के दौरान भी अपने जीवन को खतरे में डालकर ये सफाई मजदूर जिस तरह काम कर रहे हैं, उसकी पूरे देश मे सराहना हो रही है। लेकिन कोरबा नगर निगम में वे उपेक्षा का शिकार हो रही है।

माकपा नेता ने कहा कि मिशन क्लीन सिटी योजना के अंतर्गत काम कर रही इन महिला सफाई मजदूरों को कोरोना की इस दूसरी सांघातिक लहर में भी सुरक्षा किट नहीं दिया जा रहा है, जबकि मास्क, ग्लोब्स, सेनेटाइजर व साबुन कोरोना से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण है। इन सुरक्षा किटों के अभाव में दसियों कर्मचारी कोरोना का शिकार हो गए हैं, लेकिन निगम के दैनिक वेतनभोगी मजदूर होने के बावजूद निगम ने उनके इलाज व मेडिकल सुविधाएं देने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है और उन्हें बीमारी की इस अवधि का वेतन भी नहीं दिया गया है। माकपा को प्राप्त जानकारी के अनुसार वार्ड 67 में कार्यरत अघन बाई बंजारे, तुलसी कर्ष, कमल महंत सहित अन्य वार्डों के कई कर्मचारी कोरोना का शिकार हुए हैं। मजदूरी न मिलने से ये परिवार आज भुखमरी की कगार पर है। उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन का यह रूख श्रम कानूनों के भी खिलाफ है।

माकपा नेता ने कहा कि सफाई मजदूरों के प्रति कोरबा निगम प्रशासन का यह संवेदनहीन रवैया कोरोना से लड़ने में बाधक है। उन्होंने मांग की है कि सभी सफाई मजदूरों को ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर सहित सुरक्षा किट दी जाए तथा कोरोना से ग्रस्त मजदूरों को उनके अवकाश की अवधि का पूरा मजदूरी भुगतान किया जाए। माकपा ने कहा है कि निगम एक सरकारी स्वायत्त संस्था है और इस प्रदेश के श्रम कानूनों का पालन करने के लिए वह बाध्य है। माकपा ने सफाई के कार्य से जुड़े मिशन प्रेरकों की समस्याओं को लेकर बांकी मोंगरा जोन कमिश्नर के माध्यम से निगम के महापौर और आयुक्त के नाम ज्ञापन भी दिया है और उनकी समस्याओं के समाधान की मांग की है।

माकपा द्वारा महापौर को प्रेषित ज्ञापन इस प्रकार है :

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
जिला समिति कोरबा, छत्तीसगढ़

: : ज्ञापन : :

दिनांक : 13.05.2021

प्रति,
महापौर/ आयुक्त
नगर पालिक निगम,
कोरबा, छत्तीसगढ़

विषय : सफाई मजदूरों की समस्याओं के संबंध में।

महोदय,
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से हम आपका ध्यान निम्न तथ्यों की ओर आकर्षित करना चाहते हैं :

1. कोरबा नगर निगम में मिशन क्लीन सिटी योजना के अंतर्गत लगभग 400 सफाई मजदूर दैनिक वेतनभोगियों के रूप में काम कर रहे हैं। ये सभी मजदूर महिलाएं है। अधिकांश मजदूर कई सालों से नियमित रूप से काम कर रहे हैं। उनकी कार्यावधि 7 घंटों से ऊपर है। निगम प्रमुख नियोक्ता है और इस नाते श्रम कानूनों को लागू करने के लिए सीधे जिम्मेदार है।

2. ये मजदूर अत्यन्त दूषित वातावरण में काम करते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कोरोना संकट के समय वे अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें कोई सुरक्षा किट नहीं दी जा रही है, जो उनकी जीवन-रक्षा और कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए भी जरूरी है।

3. कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा सांघातिक व प्राणघातक है। लेकिन वे कोरोना योद्धा के रूप में बहादुरी से काम कर रही हैं। इन प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करते हुए कई सफाई मजदूर कोरोना की शिकार हुई हैं। हमारी पार्टी को प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके नाम इस प्रकार है :

1. अघन बाई बंजारे
2. तुलसी कर्ष
3. कमल महंत

4. कोरोनाग्रस्त होने के बावजूद इन सफाई मजदूरों को निगम द्वारा कोई मेडिकल सुविधाएं तो दी नहीं गई, बल्कि उनकी बीमारी की अवधि की मजदूरी भी काट ली गई है। इससे ये परिवार भुखमरी के भी शिकार हो रहे हैं। यह उनके साथ सरासर अन्याय है और निगम प्रशासन का यह रूख कोरोना से लड़ने में बाधक है।

अतः मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी निम्न मांगें रखती है :
1. सभी मजदूरों को मासिक आधार पर सुरक्षा किट दिए जाएं। इन किटों में मास्क, दस्ताने, साबुन व सेनेटाइजर के साथ ही थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर भी शामिल हो।
2. कोरोना ग्रस्त सभी सफाई मजदूरों को उनकी बीमारी की अवधि का सवैतनिक अवकाश दिया जाए तथा काटी गई मजदूरी का भुगतान किया जाए।
3. एक सरकारी स्वायत्त संस्था के रूप में निगम श्रम कानूनों का पालन करें व इन सफाई मजदूरों को असंगठित क्षेत्र के लिए लागू कल्याण योजनाओं के दायरे में लें।

आशा है, संवेदनशीलता के साथ उपरोक्त मांगों पर आप विचार करेंगे।

सधन्यवाद,

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