नंदकुमार पटेल की बढ़ती लोकप्रियता से डर किसी को था तो वह भाजपा थी
रायपुर। झीरम घाटी की आठवीं बरसी पर छत्तीसगढ़ गृह विभाग के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा,तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल की प्रदेश भर में बढ़ती अभूतपूर्व लोकप्रियता से भाजपा चिंतित थी। भाजपा को इस बात का भय था कि नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में कहीं 2013 के विधानसभा का चुनाव लड़ा गया तो भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा। लगातार 10 साल तक सरकार में काबिज रहे भाजपा कतई नहीं चाहती थी, सत्ता से वह बेदखल हो जाये और संयोग वश चुनाव के कुछ महीने पूर्व ही झीरम हत्याकांड हो गया और प्रदेश अध्यक्ष समेत प्रथमपंक्ति के अधिकांश नेता इसमें मारे गए।
गृह विभाग के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल एक ऐसे नेता थे जो सभी को स्वीकार्य थे और उनमें गजब का जज्बा था। उनके वक्तव्य,दिया गया बयान विपक्षी पार्टी के नेताओं को भी अपनी ओर आकर्षित करती थी।पूरे देश में यह पहला उदाहरण था जिन्हें राष्ट्रीय नेता राहुल गाँधी छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक मंचों पर बहुत पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि नंदकुमार पटेल ही प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे।इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नंदकुमार पटेल कितने निर्विवाद व्यक्तित्व के नेता थे।
विकास उपाध्याय आज झीरम घाटी की आठवीं बरसी पर उन्हें याद कर कहा, नंदकुमार पटेल की सक्रियता व लोकप्रियता से डर यदि किसी को था तो वो भाजपा थी। भाजपा को इस बात का डर सता रहा था कि नंदकुमार पटेल के रहते उनकी सरकार किसी भी सूरत में वापसी नहीं कर सकती और 2013 के चुनाव में हुआ भी यही।विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि भाजपा ‘माओवादियों के शहरी नेटवर्क’ से मिली हुई है। भाजपा नक्सलियों से मिली भगत कर ही बस्तर से जीतती रही है,जो 15 साल तक सत्ता में बने रहने की एक बड़ी वजह भी थी। इस बात का प्रमाण इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2015 में मुख्यमंत्री रहते रमन सिंह ने, ये कहते हुए बयान दिया था कि ‘नक्सली धरती माता के सपूत हैं’ और उनका मुख्यधारा में ‘बच्चों की तरह’ स्वागत होगा।
विकास उपाध्याय ने कहा,छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में सबसे ज़्यादा नुक़सान उनकी ही पार्टी और उनके ही नेताओं को उठाना पड़ा है। माओवादियों द्वारा समय-समय पर जो बयान जारी किये जाते रहे हैं उनमें सोनिया गाँधी, मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर निशाना साधा जाता रहा है।विकास उपाध्याय ने कहा माओवादी कांग्रेस को भाजपा से भी बड़ा दुश्मन इसलिए मानते आये हैं क्योंकि वो पी. चिदंबरम ही थे जिन्होंने गृहमंत्री रहते हुए सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान ‘आपरेशन ग्रीन हंट’ शुरू किया था, तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस बयान से भी ख़फ़ा बताए जाते हैं जिनमें उन्होंने कहा था कि “माओवादी भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं।”