बागपत। जनपदभर में आज भगवान विष्णु के नौवें अवतार महात्मा गौतम बुद्ध की जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी। कोरोना काल को देखते हुए सभी ने अपने घरों में ही महात्मा बुद्ध की मूर्तियों, चित्रों के सामने धूप, दीपक, मोमबत्तीयां जलाकर, पुष्प अर्पित करके पूजा अर्चना की और उनके द्वारा दिये गये उपदेशों को एक दूसरे के साथ साझा किया।
बागपत के प्रसिद्ध समाजसेवी यशपाल सिंह ने बताया कि वे हर वर्ष अपने परिवार के साथ बड़े ही धूमधाम से बुद्ध पूर्णिमा के पर्व को मनाते है। कोरोना महामारी की वजह से इस वर्ष भले ही धूमधाम कम रही हो लेकिन हर्षोल्लास में किसी प्रकार की कोई कमी नही है। बताया कि शांति के प्रतीक भगवान बुद्ध ने अपना सारा जीवन समाज की भलाई में लगाया। लोगों के उद्धार के लिये उन्होने अपने राज्य तक का त्याग कर दिया था। समाजसेवी एवं सहायक अध्यापिका मंजू रानी ने बताया कि कई ग्रंथो के अनुसार बेशक पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिये इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के दिन के रूप में मनाया जाता है।
उन्होने बताया कि इसी दिन भगवान बुद्ध को बोधिवृक्ष के नीचे तप करने से बुद्धत्व अर्थात ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन भगवान बुद्ध ने अपने शरीर का त्याग किया था। इसी को महापरिनिर्वाण कहा जाता है। इसी कारण से बुद्ध पूर्णिमा का दिन समस्त संसार के लिये बहुत खास अहमियत रखता है। अदिति रावत, प्रियांशु रावत, आदित्य रावत ने इस अवसर पर बताया कि बिहार के गया में जिस बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी वह उस पवित्र स्थान के दर्शन करना चाहते है। कहा कि वे महात्मा बुद्ध को अपना सबकुछ मानते है और उनके नक्शे कदम पर चलते हुए समाज की भलाई करने का हर सम्भव प्रयास करेंगें। इस अवसर पर संजीव कुमार, सितार सिंह आदि उपस्थित थे।