नई दिल्ली : इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर केंद्र सरकार द्वारा तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के निर्णय को चुनौती दी है। याचिका में उस अधिसूचना को चुनौती दी गई है, जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को नागरिकता के लिए आवेदन देने की अनुमति दी गई है।
मुस्लिम लीग ने सर्वोच्च न्यायालय से इस अधिसूचना पर रोक लगाने की अपील की है। बता दें कि IUML ने ही सबसे पहले सर्वोच्च न्यायालय में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 को चुनौती दी थी। गृह मंत्रालय द्वारा 28 मई को जारी की गई इस अधिसूचना में गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और हरियाणा के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार दिया गया है। इससे पहले वर्ष 2016 में देश के 16 जिलाधिकारियों को नागरिकता अधिनियम,1955 के तहत नागरिकता के लिए आवेदन स्वीकार करने के निर्देश दिए गए थे।
IUML ने लंबित CAA मामले में एक आवेदन दाखिल कर 28 मई की अधिसूचना को इस आधार पर चुनौती दी है कि नागरिकता अधिनियम के प्रावधान धर्म के आधार पर आवेदकों के वर्गीकरण की इजाजत नहीं देते हैं। नागरिकता अधिनियम की धारा- 5 (1) (ए) (जी) पंजीकरण द्वारा योग्य लोगों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है, जबकि अधिनियम की धारा-6 किसी भी व्यक्ति (अवैध प्रवासी को छोड़) को प्राकृतिककरण के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन करने की इजाजत देती है ।