रायपुर, 09 जून 2021 : बिरसा मुंडा की तरह समर्पित होकर कार्य करें, हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी। बिरसा मुंडा ने अपने समय में शोषण के विरूद्ध आवाज उठाई और आम लोगों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। यह बात राज्यपाल अनुसुईया उइके आज राजभवन में आदिवासी समन्वय मंच द्वारा बिरसा मुण्डा बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर राज्यपाल ने बिरसा मुण्डा को नमन किया।
राज्यपाल ने कहा कि किसी महापुरूषों के कार्यों, अवदानों एवं जीवन का मूल्यांकन इस बात से होता है कि उन्होंने राष्ट्रीय एवं सामाजिक समस्याओं का समाधान किस सीमा तक किया, कितने कठोर संघर्षों से लोहा लिया। बिरसा मुंडा भी ऐसे ही एक युगांतरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने अल्प अवधि में एक जननायक की पहचान बनाई। बिरसा मुंडा एक ऐसे आदिवासी नेता थे, जिन्होंने शोषण, गुलामी के खिलाफ आवाज बुलंद की थी।
उन्होंने अपनी क्रांतिकारी चिंतन से आदिवासी समाज की दशा एवं दिशा बदल दी। बिरसा मुण्डा ने आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करने के खिलाफ महाविद्रोह ‘ऊलगुलान’ चलाकर तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती भी दी। उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा लागू किए गए कानूनों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए आदिवासियों को संगठित किया। वे आदिवासियों को महामारी, हैजा, चेचक आदि को दैविक प्रकोप न मानकर उनसे बचने के उपायों के बारे में जानकारी देते थे।
बिरसा मुंडा ने उस समय की व्यवस्था और अंधविश्वासों के विरूद्ध आदिवासियों को संगठित किया और अंतिम समय तक संघर्ष करते रहे।राज्यपाल ने कहा कि बिरसा मुण्डा ने अनुभव किया कि आदिवासी समाज सामाजिक कुरीतियों और आडंबरों से घिरा हुआ है। इसे देखते हुए उन्होंने समाज को इन कुरीतियों से दूर रहने और समाज में प्रचलित आडंबरों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया और समाज को अच्छाईयों को ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि बिरसा मुण्डा, गुण्डाधुर और शहीद वीर नारायण सिंह जैसे अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा महानायकों की बदौलत हमें अमूल्य आजादी मिली है। उन्होंने ब्रिटिश शासन काल के परतंत्रता से मुक्ति दिलाई पर उनका सपना अभी भी पूरा होना बाकी है। इसके लिए हमें सामाजिक बुराईयों, अशिक्षा तथा अन्य आडंबरों से मुक्त होना पड़ेगा।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद सम्पत्तिया उइके, पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम, पूर्व मंत्री रमेश तवडकार, यू.एन.ओ. नेपाल के उपाध्यक्ष फूलमन चौधरी, आदिवासी एकता परिषद के महासचिव अशोक चौधरी, आदिवासी समन्वय मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष नकताराम भील, विधायक धनंजय, विधायक राजकुमार रोत, आदिवासी समन्वय मंच के सह संयोजक विक्रम परते उपस्थित थे।