रायपुर,12 जून 2021। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चैबें बताया कि अमेजन और फ्लिपकार्ट की याचिका को खारिज करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के तुरंत बाद कनफेडेरशन आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजा है जिसमें उनसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई ) को ये निर्देश देने का आग्रह किया है कि वो अविलम्ब अमेजॅन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ तुरंत जांच की कार्यवाही शुरू करे।
कैट ने पीयूष गोयल से यह भी आग्रह किया है कि एफडीआई नीति के प्रेस नोट 2 की जगह बहुप्रतीक्षित एक नया प्रेस नोट जारी क्या जाएँ वहीं सरकार के कानून, नियम एवं नीति को सही तरीके से लागू करने के लिए एक मॉनिटरिंग तंत्र भी बनाया जाए जिससे कोई भी किसी भी नीति का उल्लंघन करने की हिम्मत न करे। कैट ने गोयल से यह भी आग्रह किया है की ई-कॉमर्स व्यापार में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए हर उस प्रकार के ई कॉमर्स व्यापार जो किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होता है, उसको वाणिज्य मंत्रालय के डीपीआइआइटी विभाग से अनिवार्य रूप से अपना पंजीकरण कराना आवश्यक है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया कि देश भर के व्यापारी आगामी सप्ताह 14 जून से 21 जून तक ष्ई-कॉमर्स शुद्धिकरण सप्ताहष् के रूप में मनाएंगे, जिसके तहत देश के हजारों व्यापारी संगठन आगामी 16 जून को अपने-अपने जिला कलेक्टरों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से एक ज्ञापन सौंपेंगे जिसमें केंद्र सरकार से अमेजन, फ्लिपकार्ट और अन्य विदेशी फंड प्राप्त अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा नीति और नियमों के निरंतर उल्लंघन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठायें जाएँ। इसी सप्ताह के दौरान व्यापारियों का प्रतिनिधि मंडल अपने-अपने राज्य के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से मिल कर उनसे मांग करेगा कि छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स कंपनियों की किसी भी दमनकारी नीति का सामना न करना पड़े। किसी भी विरोध का सामना न करना पड़े। ई-कॉमर्स कंपनियों के हमले से कारोबारी समुदाय को बचाने के लिए देश भर के व्यापारी संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को ई मेल के द्वारा ज्ञापन भेजेंगे।
पारवानी और दोशी ने खेद व्यक्त किया कि इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने पीयूष गोयल द्वारा बार-बार दिए गए निर्देशो को सुन कर भी अनसुना किया है और एफडीआई नीति के अनिवार्य प्रावधानों की धज्जियां उड़ाकर अनैतिक और अवैध गतिविधियों में ये कंपनियां निरंतर लिप्त रही हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इस तथ्य की पुष्टि जनवरी 2021 को अमजोन विरुद्ध फ्यूचर रिटेल के मामले में की गई तथा कल जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि ष्यह अपेक्षित है कि जांच का निर्देश देने वाला आदेश तर्कसंगत हो, जिसे आयोग ने पूरा किया हैष्। कोर्ट की इस टिप्पणी ने इस तथ्य की पुष्टि की है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और इसलिए जांच जारी रहनी चाहिए। दोनों व्यापारी नेताओं ने इस मामले पर से सीसीआई द्वारा अपना पक्ष मजबूत रखने की सराहना की है।
पारवानी और दोशी ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों की गलतफहमी कि भारत का कानून कमजोर हैं और सुविधा के अनुसार किसी भी तरह से उसमे हेरफेर कि जा सकता है, को तत्काल विश्वसनीय कार्रवाई के साथ दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश भर के व्यापारियों को इन कंपनियों ने धोखा दिया है और धीरे-धीरे प्रशासनिक व्यवस्था में विश्वास खो रहे हैं और इस तरह के विश्वास को फिर से हासिल करने के लिए, यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है कि कोई भी, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कानून या नीति का उल्लंघन करने के बारे में न सोचें। दिनदहाड़े खुलेआम इन उल्लंघनों के बावजूद अब तक संबंधित अधिकारियों और विभागों ने इन ई-कॉमर्स कंपनियों की कुप्रथाओं को रोकने के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है। कैट ने यह आग्रह किया है की संबंधित अधिकारियों को एक समान स्तर का व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाए रखने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए जाएं।
पारवानी और दोशी ने कहा कि इन तथाकथित बाजारों द्वारा पूंजी डंपिंग के खेल ने देश की उद्यमशीलता कौशल और मानव पूंजी को खत्म कर दिया है जो एक संज्ञेय अपराध है। किसी भी देश की मानव पूंजी को बेकार कर देना, उन्हें उनके व्यवसायों से विस्थापित करना और इन पूंजीपतियों द्वारा उनकी आजीविका का अतिक्रमण करना निश्चित रूप से ये वो ष्भारतष् नही है जिसका सपना प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देखा है। यह नीति भारत के लोगों की ष्आत्मनिर्भर भारतष् भावना को मार रही है। श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि ये कंपनियां न केवल ई-कॉमर्स बल्कि खुदरा व्यापार के पूरे परिदृश्य को नियंत्रित और हावी करने के लिए अपनी आकांक्षाओं और गुप्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के दूसरे संस्करण के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। भारत के खुदरा व्यापार में 8 करोड़ व्यापारी लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर वर्ष भर में लगभग 115 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहे हैं जिसको इन कंपनियों ने बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है।
पारवानी और
दोशी ने कहा कि अमेजॅन और फ्लिपकार्ट दोनों ने समय-समय पर दावा किया है कि वे सबसे अधिक कानून का पालन करने वाली कंपनियां हैं और यदि ऐसा है तो वे अपने व्यवसाय मॉडल और व्यवसाय प्रथाओं की किसी भी जांच से क्यों डरते हैं और क्यों निरंतर सीसीआई द्वारा आदेशित जांच को रोकने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहे है। क्यों न सीसीआई द्वारा गहन जांच की जाए जिनमे ये कंपनियां जो सही होने का दावा करती है , वो कुंदन बन कर निकलें । इन कंपनियों के व्यापार मॉडल की सीसीआई जांच वास्तव में उनके लिए भारत के व्यापार और उद्योग के लिए खुद को एक आदर्श और विश्वसनीय कंपनी बनाने का अवसर है। इन कंपनियों द्वारा लगातार यह प्रदर्शित किया जा रहा है की वो भारत में छोटे व्यापारियों के हिमायती हैं और उनके उद्धारकर्ता है।
अमेजॅन और फ्लिपकार्ट का दावा है कि वे भारत में ई-कॉमर्स गतिविधियों के लिए बाजार और सुविधाएँ उपलब्ध करा कर छोटे व्यापारियों को अपने व्यवसाय को बढ़ाने में मदद करते हैं और व्यापारियों के व्यापार को अपने मार्केटप्लेस मॉडल के तहत बड़ी संख्या में छोटे व्यापारी प्रगति कर आगे बढ़ रहे हैं। श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा की ये कंपनियां अपने आपको धर्मार्थ संगठन की तरह प्रदर्शित कर ऐसा दिखा रही हैं की वो छोटे व्यवसायों की कमजोर परिस्थितियों पर दया करके अपने उदार और बड़ी छत्रछाया में व्यापारियों को उनका व्यवसाय विकसित करने के बड़े अवसर प्रदान करते हैं।
पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा की उनके यह दावे पूरी तरह से निराधार हैं और वास्विकता ये है कि इसमें कोई दम नहीं है। यदि वे अपने दावे पर खरे उतरते है तो उन्हें पिछले 5 वर्षों में अपने पोर्टल पर मौजूद केवल शीर्ष 10 विक्रेताओं की एक सूची प्रदान करनी चाहिए जिसके जरिये ये साबित हो जायेगा कि उनके पोर्टल पर वो कौन से लोग हैं हैं जो ज्यादा से ज्यादा सामान बेच रहे हैं। ये वो कंपनियां हैं जो इन पोर्टल की सम्बन्धी कम्पनी है । इन विदेशी ई-कॉमर्स संस्थाओं को हमारे पारंपरिक किराना और छोटे व्यापारियों के बहुत घनिष्ट ताने-बाने को बेरहमी से नष्ट करते हुए छोटे और मध्यम खुदरा विक्रेताओं की मदद करने और उनकी सहायता करने के बारे में बड़े-बड़े दावे करने की आदत है जबकि ये इसके ठीक विपरीत कार्य करते है।
पारवानी और श्री दोशी ने दृढ़ता से कहा कि भारत का व्यापारिक समुदाय आत्मनिर्भर है और उसे किसी विदेशी संस्था की दया की आवश्यकता नहीं है। हम बिल्कुल अनाथ नहीं हैं जैसा कि इन कंपनियों द्वारा हमे समझा जाता है और सरकार द्वारा भारत के घरेलू व्यापार के लिए परिभाषित नीतियों के मानकों के भीतर हमारे विकास को सुनिश्चित करने के लिए काफी सक्षम हैं और भारत में व्यापारियों द्वारा की जा रही सीएसआर गतिविधियों का स्तर अमेजॅन, फ्लिपकार्ट सहित किसी भी कॉर्पोरेट घराने की तुलना में बहुत बड़ा है।
पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि अमित अग्रवाल, कंट्री हेड, एमेजॉन इंडिया द्वारा हाल ही में की गई एक टिप्पणी से देश भर के व्यापारी बेहद आहत हैं जिसमे उन्होंने कहा कि भारत को निवेश के लिए एक वैश्विक गंतव्य बनने के लिए, अनुबंधों और कानूनी समझौतों की वैधता पर जोर देना चाहिए। हमें किसी उद्योग प्रमुख द्वारा इससे अधिक विरोधाभासी बयान कभी सुनने नहीं मिला क्योंकि अगर कोई एक व्यवसाय समूह जिसे देश के कानून का सम्मान करने और उसका पालन करने की आवश्यकता है, तो वह है अमेजन इंडिया। अग्रवाल के लिए यह बेहतर होगा कि वे भारतीय कानून प्रणाली का मजाक न उड़ाएं, और फेमा/एफडीआई नीति, लॉकडाउन दिशानिर्देशों और अन्य कानूनों का निरंतर उल्लंघन करने की बाजए सरकार की एफडीआई नीति में वर्णित नीति और कानून का पालन करने पर ध्यान दें।