हसीब अख्तर
रायपुर, 19 जुलाई 2021 : छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी और गोधन न्याय योजना से गांवों में बने गौठानों से महिलाओं, गरीब और किसानों की स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगा है। पशुपालकों से गोबर क्रय करने से जहां उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है, वहीं आसानी से गौ संरक्षण भी हो रहा है। फसलों के अकस्मात चराई से भी निजात मिल रही है।
इससे ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों महिलाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है। कांकेर जिले में 1 लाख 14 हजार 176 क्विटल गोबर की खरीदी की गई है, जिसमें 5 हजार 232 पशुपालको को 02 करोड़ 28 लाख रुपये का भुगतान सीधे खाते में किया गया है। खरीदे गए गोबर से उच्च गुणवत्ता युक्त 30 हजार 740 क्विटल कंपोस्ट खाद का निर्माण हुआ है। अब तक 02 करोड़ 17 लाख रुपये का वर्मीकम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है।
गोधन न्याय योजना से गौपालक और किसान प्रोत्साहित हो रहे हैं। इससे कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता युक्त खाद किसानों को मिल रहा है। गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट खाद व सुपर कम्पोस्ट खाद का लैब में गुणवत्ता परीक्षण किए जाने के बाद ही पैकिंग कर सहकारी समितियों के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है।
उप संचालक कृषि नरेंद्र कुमार नागेश ने बताया कि कांकेर जिले के 203 गौठानों में कृषि विभाग के तकनीकी मागदर्शन में महिला स्व-सहायता समूहों ने उच्चगुणवत्ता युक्त 23 हजार 711 क्विंटल वर्मी खाद और 7 हजार 500 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया है। इसमें से 19 हजार 500 क्विंटल वर्मी खाद एवं 4 हजार 500 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद का क्रय जिले के 16 हजार 350 किसानों द्वारा गया हैं। वर्मी कम्पोस्ट 10 रुपए प्रति किग्रा. और सुपर कम्पोस्ट 6 रुपए प्रति किग्रा. दर से सहकारी समितियों के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है।
वर्मी कम्पोस्ट खाद में 1.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.7 प्रतिशत फास्फोरस और 0.8 प्रतिशत पोटेशियम उपलब्ध होता है। इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता और जल संधारण की क्षमता में वृद्धि होती है। भूमि में वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने से छोटे-छोटे केंचुओं के अण्डे भी खेतों में पहुंच जाते हैं। इससे भूमि के प्राकृतिक रंध्रों के साथ कार्बनिक क्षमता में वृद्धि होती है। ज्यादा मात्रा में उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता युक्त पैदावार प्राप्त होती है।