भिलाई : छत्तीसगढ़ के भिलाई में देश का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल पर्यावरण को समर्पित होगा। इसके लिए 885 एकड़ में 80 हजार से ज्यादा पौधे लगाए जांएगे। अभी 17 किमी क्षेत्र में पहले से जंगल है। ऐसे में इसके बाद जंगल बढ़कर 2500 एकड़ तक फैल जाएगा। इसे एशिया की सबसे बड़ी लाइम स्टोन माइंस की खाली पड़ी जमीन पर 3 साल में 3 करोड़ की लागत से विकसित करने की तैयारी है। यह परियोजना दुर्ग, बेमेतरा और रायपुर एक प्राकृतिक बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में पर्यटन का अहसास कराएगी।
जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी की दूरी पर नंदनी में स्थित खनन आधारित माइंस को प्राकृतिक वन के रूप में बदला जा रहा है। भिलाई स्टील प्लांट (BSP) द्वारा किया जा रहा लाइम स्टोन का खनन लगभग खत्म हो चुका है। इसके बाद खाली पड़ी जमीन को बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में तैयार किया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए 2500 एकड़ जमीन का चयन किया है। इसके 17 किमी के क्षेत्र में पहले से सागौन और आंवले के बहुत सारे पेड़ मौजूद हैं। अफसर इसे इकोलॉजिकल रीस्टेशन बता रहे हैं।
जानिए खास क्या होगा
17 किमी क्षेत्र में पहले से ही जंगल फैला है।
885 एकड़ क्षेत्रफल में लगाए जाएंगे 80 हजार से अधिक पौधे।
पूरा जंगल 2500 एकड़ में फैला होगा।
पर्यावरण के पुनः संरक्षण अथवा इकोलाजिकल रीस्टोरेशन के लिए नजीर बनेगा।
साल के पौधों का भी प्लांटेशन होगा।
यहां देशी प्रजातियों के पौधों को मिलेगा बढ़ावा
दुर्ग DFO धम्मशील गणवीर ने बताया कि यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा। यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए जाएंगे, जिनकी उम्र काफी अधिक होती है। साथ ही देशी प्रजातियां जैसे हर्रा, बेहड़ा, महुवा, साल जैसे औषधि पौधे भी लगेंगे। DFO बताते है कि सेंट्रल बेल्ट में साल के पौधे नहीं पाए जाते है। पहली बार इस तरह का प्रयोग क्षेत्र में होगा। साल के पौधे बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में पाए जाते है। इस मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी।
पक्षियों के लिए होगा आदर्श रहवास
धम्मशील गणवीर ने बताया कि पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बन पाए और पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित हो पाए। यहां पर एक बहुत बड़ा वेट लैंड है। जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्क आदि लक्षित किए गए हैं, यहां झील को और नजदीकी परिवेश को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही इस मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी।
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