इन्दौर। आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउन्डेशन के अध्यक्ष डाॅ. ए.के. द्विवेदी ने मध्यप्रदेश के नवागत राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल से मुलाकात कर मध्यप्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना बाबत निवेदन किया। आयुष चिकित्सा शिक्षा में आ रही समस्यायों से राज्यपाल महोदय को अवगत कराया माननीय ने बहुत ही अच्छे से सुना तथा डाॅ. द्विवेदी द्वारा किये जा रहे आयुष के विकास कार्यों की सराहना की।
राज्यपाल महोदय ने जानने की कोशिश किया कि, किन-किन प्रदेषों में आयुष विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है, जिसका विस्तृत विवरण डाॅ. द्विवेदी ने दिया। मध्यप्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की बात से राज्यपाल काफी प्रसन्नचित्त दिखे। विश्वविद्यालय स्थापना सम्बन्धी आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया
आयुष चिकित्सा शिक्षा के बारे में राज्यपाल महोदय को अवगत कराते हुये बताया कि, प्रदेष में पृथक आयुष विष्वविद्यालय न होने से आयुष चिकित्सा विद्यार्थियों का अध्ययन से लेकर परीक्षा तथा परीक्षा परिणाम में अनियमितता सम्बन्धी अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विदित हो कि, मेडिकल युनिवर्सिटी की पृथक स्थापना होने से आयुष चिकित्सा शिक्षा सम्बन्धी समस्त गतिविधियाँ व संचालन मध्य प्रदेष मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय से किया जा रहा है।
डाॅ. द्विवेदी ने बताया कि, देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश के लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने हेतु आयुष मन्त्रालय की स्थापना अपने पहले कार्यकाल में ही कर दिया था। आयुष की सभी चिकित्सा पद्धतियाँ लगभग हानिरहित होने के कारण पूरे विश्व में दूसरी प्रमुख चिकित्सा विधा के रूप में उभर रही हैं। कोरोना काल में विश्वभर के विकशित देशों की निगाहें हमारे देश पर टिकी थी कि, भारत देश की जनता कोरोना से कैसे लड़ी, यहाँ की डेथ रेट को कैसे रोका जा सका, आज सभी को यह समझ में आ गया कि प्रमुख चिकित्सा के साथ आयुष चिकित्सा पद्धतियाँ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सबसे ज्यादा कारगर साबित हुई है, जिसके कारण भारत की जनता पर कोरोना की मार्टलिटी (डेथ रेट) अन्य देषों की तुलना में काफी कम रही।