रायपुर : छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष हुलास साहू ने कहा कि सरकार शराबबंदी लागू करने में न ही और न ही विपक्ष गंभीर नही है, विधानसभा के अंदर 5 दिन सिर्फ वृहस्पत ड्रामा हुआ है। विधायक ने आरोप लगया की मंत्री जी पर की मुझे जान से मारने की साजिश चल रही है, इतना हंगामा हुआ कि विधानसभा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गई। जैसे कि विधानसभा सत्र के तीसरे-चौथे ही दिन सत्ता पक्ष के विधायक वृहस्पत ने खेद जताया कि मैंने भावावेश में मैं बोल दिया था।
जनता के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर हमला होता है जान से मारने कोशिश हो सकती है तो आप लोग समझ सकते है कि छत्तीसगढ़ के जनता कितना सुरक्षित है। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है इस पूरे घटना से की सत्ता पक्ष ने ही पूरे ड्रामा खुद वृहस्पत कथा की रचना किया है ताकि इस विधानसभा सत्र में शराबबंदी की मुद्दे से जनता के ध्यान भटकाने के लिए किया गया था। अगर ऐसा नही है तो विधायक के ऊपर हमला किसने की या किसने करवाया जल्द ही जनता के सामने लाना चाहिए।
साहू ने कहा कि आप सभी इसी बात से समझ सकते हैं कि जहाँ पर सरकार के द्वारा शासकीय विधेयक (संकल्प) आना था। वहां पर विपक्ष ने अशासकीय संकल्प पर मत विभाजन किया गया और विधानसभा में मत सत्ता पक्ष के इतने मजबूत होते हुए भी मत का अंतर से स्पष्ट हो रहा है। कि सरकार शराबबन्दी पर मात्र दिखावा कर रही है और कितने गम्भीर है।
छत्तीसगढ़ ग्राम विकास संघर्ष समिति के सचिव धर्मेन्द्र बैरागी ने कहा कि शराबबन्दी पर भूपेश सरकार गंभीरता का एक और स्पष्ट प्रत्यक्ष बात यह है कि जो शराबबन्दी समिति बना है आज तक उस समिति का बैठक गठन के बाद से अब तक एकात दफा ही कर पाये हैं। और विपक्ष ने भी खबरों से पता चल रहा है कि जो शराबबन्दी समिति बनी है उसमें विपक्ष से अब तक कोई प्रतिनिधि शामिल नही होना ही विपक्ष की भी मंशा साफ दिखाई दे रही है।
अगर विपक्ष शराबबन्दी को लेकर गम्भीर होता तो शराबबन्दी समिति में आज तक शामिल जाते और शराबबन्दी को समिति जल्द सुझाव देते साथ विधानसभा सत्र के पटल पर चर्चा करते। तथा विपक्ष के तरफ शराबबन्दी के लिए कोई भी सलाह अब तक नही आया। विधानसभा में शराबबन्दी को लेकर अशासकीय संकल्प लाने का क्या मतलब है।
इससे साफ जाहिर होता है कि भूपेश सरकार और विपक्ष दोनों ही नही चाहता कि छत्तीसगढ़ शराबबन्दी हो। छत्तीसगढ़ के आम जनता दाई, दीदी, भाई बहिनी सुरक्षित रहे। आज छत्तीसगढ़ नशा के गढ़ के साथ अपराध की गढ़ बन चुका है और शराब और नशा के कारण आये दिन, हत्या, बलात्कार, छेड़खानी, चोरी, डकैती होना आम बात हो गई है। लेकिन भूपेश सरकार गम्भीर नही इसलिए आज तक किसी समाज से शराबबन्दी को लेकर चर्चा नही किया है। आदिवासी क्षेत्र की दुहाई देते है कि छत्तीसगढ़ शराबबन्दी करना उचित नही है। इससे साफ जाहिर होता है कि ये भूपेश सरकार और विपक्ष दोनों नही चाहता कि शराबबन्दी हो।