नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि 2014 के आम चुनावी फायदे के लिए 2013 में तेल की कीमतें घटाने का खामियाजा देश 2026 तक भुगतेगा। यूपीए सरकार ने 1.35 लाख करोड़ रुपए के तेल बांड जारी किए थे, जिसका 2021 तक केवल ब्याज 60 हजार करोड़ रुपए जा चुका है और 2026 तक 37 हजार करोड़ रुपए और दिए जाएंगे।
आज चुनिंदा पत्रकारों से बातचीत में वित्त मंत्री से पूछा गया कि तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, क्या सरकार राहत देने के लिए कोई कदम उठाएगी, इस पर सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार ट्रिक का सहारा लेकर कीमतें कम नहीं कर सकती। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में तेजी को देखते हुए फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2013-14 में यूपीए सरकार ने तेल की कीमत कम की थी, लेकिन उन्होंने यह बताया कि तेल की कीमतें किसकी कीमत पर कम की गई। यूपीए सरकार ने तेल कंपनियों को कर्ज की गर्त में धकेलते हुए 1,34,423.17 करोड़ रुपए के तेल बांड जारी किए थे। उन्होंने कहा कि मार्च 2021 तक तेल बांड का 1,30,923.17 करोड़ रुपए मूलधन बकाया था और वर्ष 2025-26 तक इसका ब्याज के साथ भुगतान करना है। अभी हर वर्ष करीब 9989.96 करोड़ रुपए सिर्फ ब्याज के रूप में चुकाना पड़ रहा है और मूलधन भी देना पड़ रहा है। अब तक मोदी सरकार सिर्फ ब्याज के रूप में 60,205.67 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है। उन्होंने कहा कि 2026 सरकार को केवल ब्याज के रूप में 37,340.44 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे।
अलवत्ता, सरकार ने 2014-2021 तक केवल ब्याज चुकाया है, मूलधन का भुगतान नहीं किया। सरकार 2021-22 में मूलधन का भुगतान 10 हजार करोड़, 2023-24 में 31,150 करोड़, 2024-25 में 52,860 करोड़ और 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपए का भुगतान करेगी। 3500 करोड़ रुपए का भुगतान 2013-14 में किया जा चुका है।