रायपुर, 26 अगस्त 2021/ स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा है कि शिक्षा, समाज और देश की प्रगति का सूचक है। बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते है। विद्यालय के प्राचार्य और शिक्षक एक कुम्हार की तरह तराश कर उनका भविष्य गढ़ते है। डॉ. टेकाम इस आशय के विचार आज प्रशासन अकादमी निमोरा में स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल के प्राचार्यों के 10 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में व्यक्त किए। यह प्रशिक्षण 23 अगस्त से दिया जा रहा है जो 1 सितंबर तक होगा।
स्कूल शिक्षा मंत्री टेकाम ने प्राचार्यों से कहा कि शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल में माता-पिता अपने बच्चों को विश्वास के साथ पढ़ने भेजा है। प्राचार्य बच्चों के माता-पिता के विश्वास को कम न होने दे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संचालित 172 शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सभी प्रकार की बेहतर व्यवस्था की गई है। वहां बच्चों का सर्वागीण विकास करना है। प्राचार्य और शिक्षकगण अपने ज्ञान का उपयोग बच्चों के भविष्य को संवारने में करें। इन विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो, कि बच्चे यहां पढ़ाई के लिए लालायित हो।
मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशील सोच है कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चे भी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ सके। स्वामी आत्मानंद जी ने वनवासियों के उत्थान के लिए नारायणपुर आश्रम में उच्च स्तरीय शिक्षा केन्द्र की स्थापना की। इसी से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री ने प्रदेश में स्वामी आत्मानंद के नाम से शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए है। प्रशिक्षण में प्राचार्यों को बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलेगा।
स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा कि शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के प्राचार्यों को महती जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहां के प्राचार्य द्वारा दूसरों का रास्ता दिखाने का कार्य किया जाएगा। इन स्कूलों के प्राचार्यों द्वारा किए गए कार्यों को पूरा प्रदेश देखेगा। उन्होंने कहा कि स्कूल के प्राचार्यों में प्रबंधन और अध्यायपन का गुण होना चाहिए। प्रबंधन कार्य करते-करते या दूसरों के अनुभव से सीख सकते है। उत्कृष्ट विद्यालय के संचालन की जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए प्राचार्यों को अपनी क्षमता बढ़ानी होगी। प्रशिक्षण के दौरान यदि उसमें कोई कमी हो तो उसे भी बताए।
प्रशासन अकादमी के संचालक टी.सी. महावर ने कहा कि प्रशिक्षण का उददेश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। संचालक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद डी. राहुल वेंकट ने कहा कि प्रशिक्षण में विद्यालय की योजना, प्राचार्यों की भूमिका, मैदानी क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का कैसे सामना करें और मोटिवेशन आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के प्राचार्यों की सहायता के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा एक सेल का गठन किया गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के अतिरिक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में प्राचार्यों द्वारा प्रशिक्षण के अनुभवों को भी साझा किया गया।