छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य राज्य के पत्रकारों की उपस्थिति में होगा कल महाआंदोलन की शुरुआत…

अम्बिकापुर : बड़े हर्ष के साथ यह बताना उचित होगा कि यदि पत्रकार सुरक्षा कानून छत्तीसगढ़ में लागू होता है तो देश का सर्वप्रथम राज्य होगा इसलिए पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा व महाराष्ट्र के पत्रकारों की उपस्थिति में पुलिस से बचाओ महा आंदोलन की शुरुआत 1 सितम्बर 2021 को की जाएगी।

बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर के पूर्व एसडीओपी ध्रुवेश जायसवाल पर सबूत के साथ रिश्वतखोरी का आरोप लगाने वाले पत्रकार को ही जेल भेज दिया, मगर अपने विभाग को दागदार करने वाले अधिकारी के खिलाफ अब तक पूछतांछ भी नही किया। साथ ही बलरामपुर जिले के पत्रकार रामहरि गुप्ता के खिलाफ घर बैठे आदिवासी एक्ट के साथ-साथ कई अन्य धाराओं के साथ थाना बसंतपुर में अपराध पंजीबद्ध किया गया। इस तरह कई मामले में पुलिस की दादागिरी के पीछे राज्य सरकार की मंशा साफ जाहिर होती है, कि वह पत्रकारों की पत्रकारिता पर बंदिश लगाने के पक्ष में हैं, यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा पिछले 15 सालों की भाजपा सरकार में जितना अत्याचार पत्रकारों पर नहीं हुआ उतना यह ढाई साल की कांग्रेस सरकार ने कर दिखाया है सभी पत्रकार एकजुट हो जाए और एक साथ इस सरकार के खिलाफ शंखनाद करें।

राज गोस्वामी प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ की कलम सेे…

छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ पत्रकारों की वाजिब लडाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका में सभी के साथ हर वक्त मौजूद है। पत्रकारों को अपने हक के लिए मिलकर एवं डटकर एकसाथ प्रतिकार करना चाहिए। मेरा आव्हान है मीडिया जगत से जुड़े सभी लोगों से सम्मान और स्वाभिमान की इस लड़ाई में एकजुट होकर अपना भविष्य सुरक्षित करें।

अपने अंदर तनिक भी आने वाले पीढ़ी के लिए संवेदना बची हो तो इस पर अमल करें – कुमार जितेन्द्र

आप सभी को सूचना दिया जाता है कि 01/09/2021 को अंबिकापुर में “पत्रकारों को पुलिस से बचाओ” एक दिवसीय महानंदोलन की नीव रखी गई है, चूंकि पत्रकारों के हित में लिया गया यह फैसला पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा, तो आप सामाजिक संगठन, पत्रकार संगठन, सभी आम जन अनिवार्य रूप से इस महाआंदोलन का हिस्सा बने और अपने आस-पास के भाइयों को जागरूक करने के साथ-साथ लेकर आना सुनिचित करें।

वरिष्ठ पत्रकार दिनेश सोनी की कलम से…

भारत के इस सरजमीं में गिनती के शेर बचे हैं साहेब। जिसके शिकार पर सरकार ने प्रतिबन्ध लगा रखे हैं ठीक वैसे ही गिनती के पत्रकार भी बचे हैं और इन पत्रकारों की जान को खतरा है। प्रशासनिक नक्सलवादियों से अपनी आने वाले पीढ़ी के लिए तनिक भी संवेदना बची हो तो आओ अंबिकापुर में हमें सहयोग प्रदान करने बुधवार 01/09/2021 को अंबिकापुर में पत्रकारों को पुलिस और राजनेताओं से बचाओ एक दिवसीय महाआंदोलन की नींव रखी गई है, चूंकि पत्रकारों के हित में लिया गया यह फैसला पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा, तो आप, सामाजिक संगठन, पत्रकार संगठन, सभी आम जन अनिवार्य रूप से इस महाआंदोलन का हिस्सा बने और अपने आस-पास के साथियों को जागरूक करने के लिए साथ लाना भी सुनिश्चित करें। मेरे अंदर संवेदना है इसलिए मैं जा रहा हूँ और कोई साथी चलना चाहे तो दोपहर तक रायपुर पहुंचे रात में लौहपथगामिनी (रेल मार्ग) से अंबिकापुर को कूच करना है।

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