कुन्नूर/नई दिल्ली : तमिलनाडु में दुर्घटनाग्रस्त हुए भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर का फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर यानी ‘ब्लैक बॉक्स’ बृहस्पतिवार को बरामद कर लिया गया। बुधवार को हुई इस दुर्घटना में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य की मौत हो गयी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में एक बयान में कहा कि जांच चल रही है और दुर्घटना में अकेला बचा सैन्य कर्मी वेलिंगटन में जीवन रक्षक प्रणाली पर है। वेलिंगटन दुर्घटनास्थल से ज्यादा दूर नहीं है।
भारतीय तिरंगे में लिपटे ताबूतों में पार्थिव शरीर सेना के सुसज्जित ट्रकों में वेलिंगटन में मद्रास रेजीमेंटल सेंटर ले जाए गए। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, तमिलनाडु के मंत्रियों और पूर्व सैनिकों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। पार्थिव शरीर बाद में सड़क मार्ग से करीब 70 किलोमीटर दूर कोयंबटूर ले जाए गए, जहां से उन्हें भारतीय वायु सेना के एक विशेष विमान में नयी दिल्ली ले जाया जाएगा।
प्राधिकारियों ने ब्लैक बॉक्स की तलाश का दायरा दुर्घटनास्थल से 300 मीटर दूर से बढ़ाकर एक किलोमीटर तक कर दिया था, जिसके बाद इसे बरामद कर लिया गया। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर समेत दो बॉक्स एक स्थान से बरामद किए गए हैं। हादसे की वजह का पता लगाने के लिए इन्हें दिल्ली या बेंगलुरू ले जाया जा सकता है।
ब्लैक बॉक्स से बुधवार को पर्वतीय क्षेत्र में हुए इस हादसे से पहले के घटनाक्रम संबंधी अहम जानकारी मिलेगी। एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर के बुधवार को दुर्घटनाग्रस्त होने और आग लगने से उसमें सवार 63 वर्षीय रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य की मौत हो गयी।
हादसे में केवल वायु सेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही जीवित बचे हैं। वह प्रतिष्ठित डीएसएससी में निदेशक हैं और उन्होंने सुलुर हवाई अड्डे पर जनरल रावत की अगवानी की थी जहां से वे हेलीकॉप्टर से वेलिंगटन रवाना हुए।
रक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा कि इस दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल में जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं और उन्हें बचाने के लिये सभी प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने पहले लोकसभा और बाद में राज्यसभा में दिये गए अपने बयान में कहा, ‘‘ दुर्घटना की जांच के लिए एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में तीनों सेनाओं के एक दल द्वारा जांच किए जाने का आदेश दिया गया है और इस दल ने कल वेलिंगटन पहुंचकर जांच का काम शुरू कर दिया है।’’
संसद के दोनों सदनों में दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए कुछ पल का मौन रखा गया तथा उनकी मौत पर शोक व्यक्त किया गया।
घटना की जानकारी देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा , ‘‘भारतीय वायु सेना के एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर ने पूर्वाह्न 11 बजकर 48 मिनट पर सुलुर हवाई अड्डे से वेलिंगटन के लिए उड़ान भरी थी। हेलीकॉप्टर को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर वेलिंगटन में उतरना था। सुलूर वायु यातायात नियंत्रक का 12 बजकर 8 मिनट पर हेलीकॉप्टर से संपर्क टूट गया। बाद में कुन्नूर के पास जंगल में स्थानीय लोगों ने आग लगी देखी। मौके पर जाकर उन्होंने हेलीकॉप्टर को आग की लपटों से घिरा देखा जिसके बाद स्थानीय प्रशासन का एक बचाव दल वहां पहुंचा।’’
उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर में से लोगों को निकालकर यथाशीघ्र वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल पहुंचाया गया। उन्होंने बताया कि जनरल रावत का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। दुर्घटना में जान गंवाने वाले अन्य सैन्य कर्मियों का अंतिम संस्कार भी उचित सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस दुर्घटना में हेलीकॉप्टर में सवार कुल 14 लोगों में से 13 की मृत्यु हो गयी जिनमें सीडीएस जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी शामिल हैं।
सिंह ने बताया कि अन्य मृतकों में सीडीएस के रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिड्डर, सीडीएस के सैन्य सलाहकार एवं स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, विंग कमांडर प्रतीक सिंह चौहान, स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह, जूनियर वारंट अधिकारी राणा प्रताप दास, जूनियर अधिकारी अरक्कल प्रदीप, हवलदार सतपाल, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेन्द्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार और लांस नायक वीर साई तेजा शामिल थे।
उन्होंने यह भी बताया कि एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी को कल ही दुर्घटना स्थल पर भेज दिया गया था और उन्होंने वहां जाकर स्थिति का जायजा लिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जनरल रावत के असामयिक निधन पर शोक जताया और कहा कि देश ने एक कुशल योद्धा, एक बेहतरीन रणनीतिकार और एक अनुभवी नेता को खो दिया है।
राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही इस ‘‘दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण’’ हादसे का उल्लेख किया। जनरल रावत के लिए शोक संदेश पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि सीडीएस का चार दशकों का एक शानदार सैन्य करियर रहा, जिस दौरान वह महत्वपूर्ण पदों पर रहे और 2016 में सेना प्रमुख बने।
वेलिंगन में श्रद्धांजलि देने वालों में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और तेलंगाना के राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन शामिल रहे।