इंदौर। देखने में आया है कि कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट्स का भारत में सबसे ज्यादा असर यूनाइटेड किंगडम (यूके) में उस वैरिएंट के पीक के करीब डेढ़-दो महीने बाद नजर आता है। इसलिए मेरा मानना है कि हमें कोरोना के वैरिएंट “ओमिक्रॉन” को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अपनी ओर से इससे निपटने की हमें हर स्तर पर तैयारी जारी करनी चाहिए। हमें किसी भी तरह से असावधान नहीं होना है क्योंकि दूसरी लहर के दौरान हम इसका खामियाजा भुगत चुके हैं। इसलिए इस मौन खतरे ओमिक्रॉन को परास्त करने के लिए हमें अभी से हरसंभव उपाय करने ही होंगे।
यह बात मेडिकल कॉलेज की पूर्व डीन तथा अरविंदो यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉक्टर ज्योति बिंदल ने गुरुवार दोपहर एडवांस आयुष वैलनेस सेंटर पिपलियाहाना में आयोजित पुस्तक “कोरोना के साथ और कोरोना के बाद” के टीजर लॉन्चिंग कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए उन्होंने कहा इस पुस्तक के माध्यम से डॉ. ए.के. द्विवेदी ने समाज को जागरूक करने और भविष्य में आने वाले इस प्रकार के किसी खतरे से बेहतर तरीके से निपटने में मार्गदर्शन देने की एक बहुत सकारात्मक पहल की है। जिसका लाभ वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ भावी पीढ़ियों को भी निश्चित रूप से मिलेगा।
आधुनिक विज्ञान अपनाएं मगर पुरातन अध्यात्म भी न भूलें
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात समाजसेवी पद्मश्री जनक पलटा ने कहा कि हमें आधुनिक विज्ञान के साथ कदमताल करने के दौरान अपने पुरातन अध्यात्म भाव को भी जागृत रखना है। कोरोना काल ने सिद्ध कर दिया है कि आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग और प्राकृतिक चिकित्सा जैसी हमारी पुरानी चिकित्सा पद्धतियाँ अभी भी बहुत कारगर हैं। ये हमें प्रकृति के अनुरूप जीना सिखाती हैं, जो कि इस दौर की महती आवश्यकता है। इस मौके पर सुश्री पलटा ने आध्यात्मिक बहाई भावगीत सुना कर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर दिया।
…… इसलिए उठाया पुस्तकीय दस्तावेज रचने का बीड़ा
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉक्टर ए.के. द्विवेदी ने कहा कि उन्होंने इस पुस्तकीय दस्तावेज को रचने का बीड़ा इसलिये उठाया ताकि वर्तमान के साथ भावी पीढ़ियों को भी कोरोना जैसी आपदाओं से निपटने के बेहतर और सटीक तरीके सुझाये जा सकें। इसीलिए इस किताब में हमने समाज के अनेक वर्गों के अनुभवों और प्रामाणिक आंकड़ों को समाहित किया है। टीजर लॉन्चिंग इसी उद्देश्य से की जा रही है, ताकि समाज के जो वर्ग, अब तक किताब से नहीं जुड़ सके हैं, उनकी भी सहभागिता सुनिश्चित की जा सके। विजय दिवस के उपलक्ष्य में इस कार्यक्रम को आयोजित करने का मकसद यह संदेश देना है कि जिस तरह हम लोगों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन के दाँत खट्टे करते हुए यादगार जीत हासिल की थी उसी तरह से कोरोना से इस जंग में भी हम निश्चित रूप से विजयी होंगे।
विजय दिवस के मौके पर कोरोना योद्धाओं को समर्पित इस कार्यक्रम का संचालन, पुस्तक के संपादक अनिल त्रिवेदी ने किया। आभार डॉ. वैभव चतुर्वेदी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉक्टर कनक द्विवेदी चतुर्वेदी, डॉ ऋषभ जैन, भूपेंद्र गौतम, प्रज्ज्वल खरे उप कुलसचिव देवी अहिल्या विश्व विद्यालय इंदौर, पुरुषोत्तम दुबे, डॉक्टर विवेक शर्मा, जितेंद्र पुरी, विनय पांडे, राकेश यादव, डॉक्टर दीपक उपाध्याय समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति और बुद्धिजीवी उपस्थित थे।