इंदौर। आयुष चिकित्सा पद्धति के विकास व विस्तार में ये कार्यशाला मील का पत्थर साबित होगी। इस कार्यशाला से न केवल आयुष चिकित्सकों के चिकित्सकीय कौशल में अभिवृद्धि हुई है बल्कि इससे वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से जुड़े चिकित्सकों को कई नई और अत्यंत उपयोगी जानकारियां भी मिली हैं। कुल मिलाकर यह कार्यशाला आयुष चिकित्सकों में एक नई ऊर्जा का संचार करने में पूरी तरह सफल रही है।
ये बात देश के आयुष चिकित्सकों को संबोधित करते हुए इंदौर के जाने-माने होम्योपैथिक चिकित्सक डाॅ. ए.के. द्विवेदी ने कही। वो प्रयागराज में संजीवनी वेलफेयर सोसायटी द्वारा आयोजित एक दिनी राष्ट्रीय सेमिनार में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आयुष चिकित्सकों (आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्धा व होम्योपैथी) में चिकित्सकीय कौशल विकसित करने हेतु कोरोना के बाद सम्भवतः देश में पहली बार इस एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इस प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती गतिविधियां आगे भी जारी रहनी चाहिए। कार्यशाला के दौरान डॉक्टर द्विवेदी को विशेष रूप से सम्मानित भी किया गया।