कच्ची राह हुई पक्की, नीलिमा ने खुद लिखी अपनी तरक्की

रायपुर  मंजिलें उनकों मिलती है जिनके सपनों में जान होती है…पंखों से कुछ नहीं होता…हौसलों से उड़ान होती है…कुछ ऐसे ही हौसलों की कहानी है नीलिमा की। रायपुर जिले के आरंग में रहने वाली नीलिमा ने संघर्षों के साथ अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई इसलिये पूरी की थी कि डिग्री के बाद उनकी भी नौकरी पक्की हो जाएगी।

पढ़ाई पूरी करने के बाद कई स्थानों में रोजगार तलाशनें की कोशिश जारी रखते हुए नीलिमा की उम्मीदों को पंख तब लगे जब प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के युवाओं को रोजगार से जोड़ने और विकास कार्यों में भागीदारी सुनिश्चित करने छत्तीसगढ़ में ई-श्रेणी पंजीयन प्रणाली लागू की। बेरोजगार नीलिमा ने ई-श्रेणी पंजीयन में अपना भी पंजीयन कराया और लड़की होने के साथ सड़क निर्माण के कार्य में चुनौतियां होने के बाद भी परवाह न करते हुए गांव में पक्की सड़क बनाकर अपनी तरक्की की राह आसान कर ली।

अपनी तरक्की के द्वार खुद खोलने वाली नीलिमा साहू ने बताया कि वर्ष 2016 में बी.ई. की डिग्री हासिल करने के बाद वह लगातार जॉब की तलाश कर रही थी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्हें उम्मीद थीं कि कहीं न कहीं उसकी जॉब जरूर लग जाएगी। डिग्री होने के बाद भी रोजगार और आमदनी का कोई जरिया नहीं होने से दुःख के साथ चिंता भी होती थी। इस बीच नौकरी की तलाश और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करती रही।

नीलिमा ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जब प्रदेश के 12 वीं पास से लेकर स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके बेरोजगार युवकों को लोक निर्माण विभाग के निर्माण कार्यों में काम देने की घोषणा की तो उसे भी काम मिलने की आस जगी। उन्होंने ई-श्रेणी पंजीयन में अपना नाम रजिस्टर कराया।

आखिरकार नीलिमा को मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के अंतर्गत आरंग विकासखण्ड के ग्राम रसनी में 13 लाख रुपए और ग्राम नारा में लगभग 8 लाख रुपए का काम मिला। शासकीय स्कूल भवन को मुख्य मार्ग तक जोड़ने नीलिमा ने सड़क बनवाई। पढाई पूरी करने के बाद पहली बार काम मिलने और रोजगार से जुड़ने की खुशी ने जहां नीलिमा को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित किया, वहीं सड़क निर्माण जैसे कार्य में उतरना उसके लिए एक चुनौती की तरह रहा।

इंजीनियर नीलिमा कहती है कि मेरे लिए यह गौरव की बात है कि मैं अपने घर के आसपास विकास कार्यों में अपनी भागीदारी दे पाई। छोटे-छोटे कार्यों से मुझे सीखने को मिला। उसने बताया कि सड़क निर्माण के दौरान कार्यों का नियमित निरीक्षण करती थीं और समय सीमा में कार्य पूरा कराई। पक्की सड़क बनने से जहाँ नीलिमा के तरक्की का मार्ग खुला वहीं स्कूली बच्चों के साथ ग्रामीणों को भी पक्की सड़क का लाभ आवागमन के रूप में होने लगा है। रसनी में पांचवीं में पढ़ने वाले छात्र आयुष चंद्राकर, तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले खिलेश चंद्राकर सहित गांव की महिला ऊषा चंद्राकर ने बताया कि पहले धूल और बारिश में कीचड़ का सामना करना पड़ता था। अब पक्की सड़क से आना जाना बहुत सुखद हो गया है।

4606 युवाओं ने कराया ई-पंजीयन,193 करोड़ के काम आबंटित

प्रदेश में बेरोजगार युवाओं को निर्माण कार्यों में रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने ब्लॉक स्तर में 20 लाख तक के कार्य देने ई-पंजीयन प्रणाली शुरू की गई है। इसके लिए गैर अनुसूचित क्षेत्र में योग्यता स्नातक और अनुसूचित क्षेत्र में 12वीं पास रखी गई है। इस योजना के तहत अभी तक प्रदेश में 4606 बेरोजगारों का पंजीयन कर 193.32 करोड़ रुपए के 1636 कार्य आबंटित किए गए हैं।

 

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