जटिल रोगों के इलाज में मॉडर्न मेडिसिन के साथ होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन से ठीक होने की सम्भावना अधिक 

इन्दौर। की नोट्स स्पीकर (वक्ता) डाॅ. ए.के. द्विवेदी ने बताया कि, अप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों को होम्योपैथिक दवाइयों से ठीक किया जा रहा है। पूरे देश से प्रत्येक माह 50 से 60 मरीज अप्लास्टिक एनीमिया के होम्योपैथिक इलाज के लिए डाॅ. द्विवेदी से कंसल्ट करते हैं। ये वही मरीज होते हैं जिन्हें मॉडर्न मेडिसीन द्वारा यह समझा दिया जाता है कि, इसका या तो उनके पास कोई इलाज नहीं है या फिर बोन मैरो ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय बताते हैं। ऐसे मरीजों को होम्योपैथी से राहत मिलने के बाद उनको बार-बार ब्लड और प्लेटलेट नहीं लगाना पड़ता है तथा लगातार डेढ़-दो या तीन साल तक लगातार होम्योपैथिक दवाई लेने के बाद काफी मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और अपनी नाॅर्मल दिनचर्या व्यतीत कर रहे हैं।

एमजीएम महाविद्यालय, इन्दौर में आयोजित कार्यशाला में व्याख्यान देते हुए केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डाॅ. द्विवेदी ने बताया कि, एक महिला मरीज जो वर्ष 2019 में दिल्ली से आई थीं, उस समय उनका हीमोग्लोबिन 3 ग्राम और प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार था। 2019 से 2021 तक लगातार होम्योपैथिक इलाज लेने के बाद आज उनका प्लेटलेट्स डेढ़ लाख (1.50 लाख) से अधिक है तथा हीमोग्लोबिन भी 10 ग्राम से ऊपर है। आपने बताया कि, महिलाएँ/पुरुष तथा बच्चे सभी इस तरह की बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। अगर हम सही खान-पान अपनायें तथा दवाईयों का इस्तेमाल चिकित्सकीय सलाह से लें तो इस तरह की बीमारी होने से बचा जा सकता है। आपने उक्त सेमिनार में बताया कि, शरीर के किसी भी भाग से ब्लीडिंग (रक्तस्राव) को होम्योपैथिक दवाईयों से रोका जा सकता है। आपने कहा कि, ठण्ड में अगर दो माह तक लगातार गुड़ और ड्रायफ्रूट का लड्डू खायें तो हड्डियाँ मजबूत होंगी, इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बेहतर होगी और लोग बीमार भी नहीं होंगे।

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