रायपुर। नए साल में जनवरी के पहले सप्ताह में मोहल्ला साक्षरता कक्षा में असाक्षरों की शत्-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराएं। इसके लिए स्वयंसेवी शिक्षकों एवं कुशल प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण एक सप्ताह के भीतर आयोजित किया जाए। अशिक्षित पालकों को पढ़ाने नवाचारी गतिविधियां आयोजित की जाए। स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव व राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के संचालक राजेश सिंह राणा ने इस आशय के विचार जिला परियोजना अधिकारियों की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में व्यक्त किए।
राणा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा पढ़ना-लिखना अभियान का लक्ष्य पूरा करने के लिए अवधि में 31 मार्च 2022 तक की वृद्धि की गई है। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण के शेष शिक्षार्थी को जनवरी के प्रथम सप्ताह में मोहल्ला साक्षरता कक्षा में लाना है। राणा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रौढ़ शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है। असाक्षरों को बुनियादी साक्षरता एवं गणितीय कौशल का ज्ञान 120 घंटे के अध्यापन में सिखाना है। इस कार्यक्रम के लिए अभी सबसे ज्यादा आवश्यक है कि कार्यक्रम के पक्ष में वातावरण निर्मित किया जाए।
राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में पढ़ना-लिखना अभियान के नोडल अधिकारी श्री प्रशांत कुमार पाण्डेय ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। जिलेवार स्थिति की समीक्षा की स्टेट करिकुलम फ्रेमवर्क के संबंध में एससीईआरटी की सहायक प्राध्यापक नीलम अरोड़ा ने बताया रिसोर्स पर्सन श्री सुनील मिश्रा ने बच्चों के साथ अशिक्षित पालकों के लिए उपचारात्मक शिक्षण कार्यक्रम नवा जतन के 6 तकनीक के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया।
नेहा शुक्ला ने पढ़ना-लिखना अभियान के मासिक प्रगति प्रतिवेदन की जानकारी दी और यूनिसेफ के सलाहकार विकास भदोरिया ने आगामी रणनीति पर प्रस्तुति दी। बैठक में भौतिक एवं वित्तीय समीक्षा के दौरान पीएफएमएस की जानकारी प्रदान की। इस राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सहायक संचालक दिनेश कुमार टांक, निधि अग्रवाल, आशा सिन्हा एवं जिलों के परियोजना अधिकारी उपस्थित थे।