रायपुर : राजधानी रायपुर के मोवा की एक बेशकीमती संपत्ति को जबरन खाली कराने के मामले में शाहनवाज अहमद नाम के व्यक्ति के द्वारा पंडरी थाना प्रभारी सहित नूर बेगम व आशीष शिंदे के खिलाफ डीजीपी से शिकायत की गई है। शिकायत में पंडरी थानेदार तथा नूर बेगम एवं आशीष शिंदे पर यह आरोप है कि उन्होंने शहनवाज के किराएदार को थाने में बुलाकर कार्यवाही का माहौल बना कर 10 दिनों के भीतर कब्जा खाली करने से संबंधित लिखा पढ़ी करवाई है।
मोवा निवासी शाहनवाज अहमद ने पूरे मामले की जांच कर थाना प्रभारी सहित नूर बेगम एवं आशीष शिंदे पर कानूनी कार्यवाही की मांग की है। इस संवाददाता ने जब शाहनवाज अहमद से पूरे मामले को जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि पुलिस को लेकर मेरे मन मे सदैव से सम्मान आदर का भाव रहा है लेकिन पहुंच और पैसे के दम पर आशीष शिंदे मेरी मौसी नूर बेगम के साथ मिलकर मनमाना सीमांकन कराने से लेकर पुलिस थाना पंडरी में जिसको चाहे जब चाहे हर प्रकार की कार्रवाई और डर बनाने का एक वातावरण बना लिया है।
स्थिति यह हो गई है कि आम चर्चा में पंडरी थाने को आशीष शिंदे का बताया जाता है।
दिनांक 3 जनवरी को शाम फर्नीचर के काम से मेरे किराएदार को थाने बुलाया गया था जहाँ रात 11 बजे तक उसे बैठाए रखा गया बाद में सुबह आने कहकर छोड़ा गया।दूसरे दिन 4 जनवरी को सुबह 10:00 बजे से मेरे किराएदार अब्दुल हसन को पुनः ढाई घंटे तक थाने में बैठा कर रखा गया,इस दौरान उसे डराया, धमकाया गया और मात्र 10 दिनों के भीतर अपने फर्नीचर कारखाने को कहीं और शिफ्ट किये जाने को लेकर जबरन सहमति बनाते लिखा पढ़ी भी करवा ली गई।इस दौरान थाने में आशीष शिंदे के साथ नूर बेगम भी उपस्थित थी।
लिखा पढ़ी में मेरे किराएदार को नूर बेगम का किराएदार बताया गया, शाहनवाज अहमद ने किरायेदार के साथ अपना किरायानामा प्रस्तुत करते हुए कहा कि मैं इस पूरे मामले से बेहद अचंभित हूं क्योंकि व्यवहार न्यायालय की प्रवित्ति के मामलों में पुलिस का सीधा दखल देना तथा दुकान मकान और जमीनों को खाली कराने को लेकर थाने में बैठा कर लोगों को डराना धमकाना दबाव बनाकर लिखा पढ़ी करवाना यह पुलिस के कार्यक्षेत्र से बाहर की बात है।यदि इस प्रकार की प्रवृत्ति चलन में आ गई तो व्यवहार न्यायालय की आवश्यकता ही नहीं होगी, लोग पुलिस को मनमाना पैसा देकर दुकान मकान और जमीन से जुड़े मामलों में अपने हिसाब से रातोरात काम करवाने लगेंगे।।
ज्ञात हो कि नूर बेगम व आशीष शिंदे का नाम अक्सर कांग्रेस नेता आसिफ मेमन के साथ अमानत में खयानत के मामलों को लेकर आता रहता है हाल ही में आसिफ मेमन के द्वारा पुलिस अधीक्षक रायपुर को एक शिकायत की गई है जिसमें नूर बेगम उसके साथी दादून शाह व आशीष शिंदे के पर आसिफ ने अपने खिलाफ की गई दो दर्जन झूठी शिकायतों की जांच की मांग की है संबंधित प्रकरण जांच हेतु थाना खम्हारडीह में है।
शाहनवाज अहमद ने कहा कि खसरा नंबर 323- 276/2 302/4-302/3-277-1 इत्यादि समस्त भूमि विवादित भूमि है उक्त समस्त भूमि अतीत में मेरे मामा मरहूम मोहम्मद शरीफ के हक व नाम पर दर्ज भूमि रही है,मोहम्मद शरीफ ने अपने जीवन काल में अपनी समस्त संपत्ति मुझे व मेरी मौसी नूर बेगम के नाम पर हिबा कर दी थी इससे संबंधित प्रकरण तहसील से लेकर जिला अदालत तक चले लेकिन नूर बेगम के द्वारा मुझे गुमराह कर झूठा आश्वासन देते हुए सम्पत्ति की लालच में हिबा से मुकर गए व बंटवारे के बाद हिबा के प्रकरण में न्यायलय में लिखा पढ़ी करवा ली गई और इस तरह बाद में छल कपट करके समझौते से पुनः मुकर गई।
अब इन समस्त जमीनों को आशीष शिंदे के साथ मिलकर धोखाधड़ी कर औने पौने दाम पर बेचने में जुटी हुई है।
शाहनवाज अहमद ने कहा मामा मरहूम मो शरीफ से सम्बंधित भूमि में अन्य कई विवाद है जिसमे खसरा नम्बर 323 में एजाज कुरैशी द्वारा दर्ज एक आपराधिक प्रकरण भी है जो कि वर्तमान में न्यायलय में लंबित है इसके अलावा मो शरीफ से सम्बंधित समस्त सम्पत्तियों का एक एग्रीमेंट भी है जिस पर नूर बेगम व बुशरा शरीफ के खिलाफ कानूनी कार्यवाही लंबित है।
शहनवाज ने बताया कि पारिवारिक बंटवारे में नियम कानून को धता बताते हुए मामा स्व मो शरीफ की एकल सम्पत्तियां सीधे नूर बेगम के नाम आ गई जबकि विधि सम्मत पहले मो शरीफ की पत्नी बुशरा शरीफ व परिवार के नाम आती फिर जो जिसको चाहे उसके पक्ष में हक़ त्याग कर सकते थे। शाहनवाज अहमद ने कहा कि मामा मरहूम मो शरीफ की विधवा बुशरा शरीफ को भी यह हक नहीं था कि वह बगैर अपने नाम फौती चढ़ाएं किसी को उक्त भूमि का मालिक बनने हेतु अपनी स्वीकृति दे दे
इस तरह विधि के विरुद्ध नूर बेगम के द्वारा अपने नाम करवाई गई यह समस्त सम्पत्तियां वैसे भी विवादित भूमि की श्रेणी में आती हैं बल्कि यह कृत्य दंडनीय अपराध है और वे जल्द ही इस पूरे मामले को लेकर पुलिस व न्यायलय की शरण मे जाने की तैयारी कर रहे है।
शहनवाज अहमद ने कहा कि शिकायत इसलिए भी जरूरी थी कि पंडरी थाना पुलिस द्वारा किरायेदार को बुलाकर नूर बेगम व आशीष शिंदे की उपस्थिति में दबाव बनाकर कराई गई लिखा पढ़ी की घटना वरिष्ठ अफसरों के संज्ञान में आये यह बेहद जरूरी है ताकि कानून के दुरुपयोग की इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो अन्यथा जनता का पुलिस के प्रति विश्वास उठ जाएगा।