आरंग : नवा रायपुर में प्रभावितों के द्वारा अपने “हक -अधिकार” के लिए दिल्ली की तर्ज़ में रात दिन 24 घंटे गांधी वादी तरीक़े से NRDA परिशर में हज़ारों प्रभावित क्षेत्र के किसान मज़दूर नव जवान माँताये बहने नया रायपुर किशान कल्याण समिती के तत्व धान में रूपन चंद्राकर एवं कामता रात्रे जी के अगुवाई नेतृत्त्व में आन्दोलन कर रही है। जिसमें प्रभावित क्षेत्र के ग्राम पंचायत के सरपंच जनपद सदस्य ज़िला पंचायत सदस्य सभी ने इस आंदोलन में अपना समर्थन दिया है।
कांग्रेस भाजपा दोनो दल के नेता सभी आंदोलन में भाग लेकर किसानो के आंदोलन का समर्थन कर रही है। तथा वक्ता गण दोनो दलो के पूर्व एवं वर्तमान सरकार पर तीखा सब्ध बाड़ छोड़ रहे है। तथा सरकार से किसानो की माँगो को पूरा करने के लिये अपील भी कर रही है। क्यों सरकारें किसानो के माँगो पर सहानुभूती पूर्वक विचार नही करती है। वादा करके क्यों वादा खिलाफ़ी करती है। क्या किसान मात्र राजनिती का एक ज़रिया ही है।
किसानो को आंदोलन क्यों करना पड़ रहा है?
प्रभावित किसान धर्म युद्ध की भाँति अनिस्चित क़ालीन धरना क्यों कर रहा है ? अगर प्रभावित क्षेत्र के लोग अभी अपने अधिकार को सुरक्षित नही रखे तो आने वाले पिढ़ी नया रायपुर से विलुप्त हो जायेगी। अभी उनके रोज़गार कृषी छीन लिया गया है, नया रायपुर में निजी एवं सरकारी संस्था में प्रभावित परिवार को योग्यता नुसार रोज़गार एवं स्वरोज़गार में प्राथमिकता मिलना था जो नही मिल रही है। किसानो को मुआवज़ा राशि में छल पूर्वक कम मुआवज़ा दिया गया है। कई छोटे छोटे समस्या के निदान नही होने से आंदोलन का जन्म हुआ है। जिसे शासन प्रशासन अगर चाहे तो स्वच्छ मन से समस्याओं का निराकरण कर सकती है।
लेकिन इसके लिये कोई सकारात्मक प्रयास नही होने से काफ़ी अर्शे बाद किसान आंदोलन के लिए मजबूर हो गये।
आज किसान आंदोलन का 7 वां दिन है।जहां दिन रात किसान अपनी माँगो को लेकर आंदोलन रत है।
ज़मीनी स्तर का नेताओ में सरकार के प्रति ख़ासी नराजगी …….
कांग्रेस की वर्तमान सरकार
चुनाव के दौरान प्रभावित क्षेत्र के किसानो के साथ न्याय करने की वादा किया था। जो की अपनी वादा से मुकर रही है। कांग्रेश सरकार के तीन साल बीत जाने के उपरांत भी प्रभावित किसानो की पूर्व की माँगो तथा शासन प्रशासन के बीच हुए समझौते एवं आदेश क्रियानवयन भी वर्तमान शासन पालन कराने में आज दिनांक तक नाकाम रही है। पूर्वती भाजपा शासन काल में किसानो एवं ततक़ालीन शासन प्रशासन के बीच कई अहम फ़ैसले पर सहमती एवं आदेश हुए है। जिसमें मुख्य रूप से प्रभावित ग्राम के संपूर्ण बसाहट क्षेत्र का पट्टा प्रदान करने एवं पुनर्वास निती के तहत विक्रय भूमि के अनुपात में विकसीत भूमि आबँटन करने का आदेश दिया गया था। जिसका पालन पूर्व की भाजपा की सरकार में नही हुआ ओर आज वर्तमान कांग्रेश की भूपेश बघेल की सरकार भी अपनी वादा नही निभाते हुए। किशानो के साथ छल कर रही है। प्रभावित किसानो की आजीविका कृषी छीन लिया है। जहां प्रभावितों को ना प्राथमिकता के साथ रोज़गार दे रही है। ना ही स्वरोज़गार उपलब्ध करा रही है। छल एवं सड्यंत्र करके प्रभावित क्षेत्र के 41 गावों को नगरीय क्षेत्र घोषित कर किसानो को चार गुणा नये कृषी क़ानून के तहत मुआवज़े मिलना था जो सड्यंत्र के कारण अब दो गुणा ही मुआवज़ा राशि मिल रही है। जो की उक्त ग्रामो में आज भी ग्राम पंचायत प्रभावशील है।
प्रभावित ग्रामों में एन .आर .ड़ी .ए .द्वारा मूलभूत नागरिक सुविधा विकास कार्य सड़क नाली पेयजल बिजली जैसे बुनियादी सुविधा के लिये पंचायतो को राशि भी आबँटित नही कर है। प्रभावित गावँ का हालात ख़स्ता हाल है।
इस प्रकार कई बुनियादी सुविधा एवं हक़ अधिकार के लिये किसान आंदोलन के लिय मजबूर है।
किसानो की जायज़ माँगो को पूरा करने के लिये राज्य की भूपेश बघेल की सरकार से स्थानीय स्तर के वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधीगण सरपंच गण जनपद सदस्यगण ज़िला पंचायत सदस्य गण किसान आंदोलन के सभी पदाधिकारी गण अनुरोध कर रहे है।