रायपुर,10 मार्च 2022। आज औपचारिक रूप से “हौसलों कि उड़ान” किताब को देखते ही देखते 1 साल हो गया है | मुझे बहुत ख़ुशी हो रही कि इस किताब को लिखने के पीछे जो मेरी सोच थी, जो मेरी विचारधारा थी कि, यह किताब एक 9 साल के बच्चे से लेकर 65 साल के बुजुर्ग के जीवन में ना सिर्फ काम आये, उनके जीवन कि निराशा को आशा में बदले, बल्कि उनके जीवन में एक समान प्रकार का असर भी छोड़े, आप सभी ने इस सोच और इस विचारधारा को सफल बना दिया |
इस 1 साल के सफर में “हौसलों कि उड़ान” किताब को जितना पसंद एक 10 साल के बच्चे ने किया है, उतना ही प्यार और स्नेह बुजुर्गो ने भी दिया है | आप सभी पाठकों, और शुभचिंतको के प्यार, आशीर्वाद और स्नेह ने ही मुझे 1 साल में ना सिर्फ प्रियांक से लेखक प्रियांक मित्तल बना दिया बल्कि इस कारवां, और इस 18 साल के लड़के कि सोच को साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्र सम्मान तक पहुंचाया |
यह मेरी जीत नहीं है, यह आपकी जीत है, मैं यही चाहता हूँ कि यह कारवां यूही चलता रहे और पाठक इस नयी सोच के साथ जुड़कर अपना और दूसरों के जीवन को बदलने का काम करें | लॉकडाउन के समय में भी पाठकों ने इस किताब को खूब सराहा | आज अच्छा लग रहा है कि चाहे वो फ्लिपकार्ट हो, किंडल हो या अमेज़न, हर जगह से पाठक इस किताब को आर्डर कर रहे है, किताब पढ़ रहे है, और अपना फीडबैक भी दे रहे है |
मैं आप सभी पाठकों, शुभचिंतको, ग्राम के लोगों, प्रदेशवासियो और हर उस व्यक्ति का आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने अपना स्नेह अपना प्यार अपना आशीर्वाद, मुझे और “हौसलों कि उड़ान” को दिया |