रायपुर : दरअसल छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वरा बीपीएल परिवार (गरीब परिवारों) को चावल दिया जाता है जिससे कि वह इस बढ़ती महेंगाई और कोरोना जैसे आपदा से जूझ रहे परिवार को थोड़ी राहत मिल सके लेकिन कुछ बीपीएल परिवार द्वारा राशन में मिलने वाले चावल को 14 से 16 रूपए प्रति किलों के हिसाब से दलाल को बेच दिया जाता है या ये दलाल खुद राशन दूकान के आस पास खड़े होते है और गरीब परिवारों को पैसों का लालच देकर उनसे चावल खरीद लेते है…वहीँ गरीब परिवार जो कि ज्यादा पढ़ा लिखा नही है और इन ठगों की बातों में आकर अपनी महीने भर के राशन को बेच देते है और फिर वही चावल डबल भाव में खरीद कर खाने को मजबूर भी है…
वहीँ राजधनी में दुसरे तरफ देखा गया है कि मार्केट में जो अच्छी कंपनी के 50 से 60 रूपए प्रति किलो तक बिकने वाले चावल के कुछ ही दिनों में डुप्लीकेट चावल मार्केट में आ जाते है…अब आम (एपीएल परिवार ) लोगों के मन में ये बड़ा सवाल है कि क्या राशन के चावल को ही मार्केट में ब्रांडेड कंपनी की नक़ल बनाकर पॉलिश और कटिंग कर मार्केट में खपाया जा रहा है…? अगर ऐसा है तो सरकार व प्रशासन को इसपर जांच कर कार्यवाही करनी चाहिए…और राजधानी में चल रहे राशन के चावल की कालाबाजारी पर जल्द से जल्द रोक लगानी चाहिए…