भारत की स्थिति श्रीलंका जैसी, मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा- चुनौतियों से निपटने में भारत सक्षम – राहुल गाँधी

नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि ध्यान भटकाने से सच्चाई नहीं बदलेगी, क्योंकि भारत की स्थिति बहुत हद तक श्रीलंका की तरह दिखाई देती है. वहीं, भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिहाज से भारत अच्छी स्थिति में है.

राहुल गांधी ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘लोगों का ध्यान भटकाने से तथ्य नहीं बदलेंगे. भारत काफी हद तक श्रीलंका की तरह दिखाई देता है.’ राहुल गांधी ने बेरोजगारी, पेट्रोल की कीमत, सांप्रदायिक हिंसा के मामलों को लेकर भारत और श्रीलंका की स्थिति की तुलना करते हुए ग्राफ भी साझा किया.

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने महंगाई को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘आपकी पाई-पाई जोड़कर बनायी गयी मेहनत की कमाई पर महंगाई की मार है. भाजपा सरकार की एक भी आर्थिक नीति ऐसी नहीं है, जिससे मध्य वर्ग, गरीब तबके की आमदनी ज्यादा हो सके व खर्च कम. मध्यम वर्ग व गरीब तबके के लोगों को ये डर सता रहा है कि कहीं उनको रोजाना का खर्च चलाने के लिए कर्ज न लेना पड़े.’

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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि महंगाई को लेकर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारा मानना है कि आम लोगों का जीवन बसर करना दूभर होता जा रहा है और इस सरकार को बिना वक्त जाया किये लोगों की जेब में पैसा डालकर उपभोग बढ़ाना चाहिए. महंगाई को रोकने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती करना चाहिए.’

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर बनी अनिश्चितता की परिस्थितियों के बावजूद भारत बेहतर वित्तीय प्रणाली और कॉपोरेट जगत की मजबूत आर्थिक स्थिति के बूते बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच अब भी बेहतर स्थिति में है.

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नागेश्वरन ने कहा कि भारत ने बैंकिंग और अन्य क्षेत्रों में कई सुधार शुरू किये हैं और अब देश सार्वजनिक निवेश बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है. ‘अमेजन संभव’ सम्मेलन में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘दूसरे देश, यहां तक कि आधुनिक देशों से भी तुलना करें, तो मेरा खयाल है कि भारत बेहतर स्थिति में है और इसका सीधा-सा कारण यह है कि पिछले दशक में भारत कीमत चुका चुका है. बैंकिंग प्रणाली तब दबाव में थी और 2018 आते-आते गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र भी दबाव में आ गया.’

नागेश्वरन ने कहा, इसके अलावा भारतीय कॉरपोरेट जगत अच्छी वित्तीय स्थिति में हैं, क्योंकि उन्होंने अपने बही-खाते को कम किया है. उन्होंने कहा, इस दशक में और इस संकट (रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध) में हम बेहतर वित्तीय प्रणाली और कॉरपोरेट जगत की मजबूत वित्तीय स्थिति के साथ प्रवेश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास भी विदेशी मुद्रा का अच्छा खासा भंडार है. उसने अपने हाल के मौद्रिक नीति कदम से यह संकेत दे दिया है कि मुद्रास्फीति के दबाव से मुकाबला करने के लिए उसने कमर कस ली है. उन्होंने कहा कि सरकार ने भी पूंजीगत खर्च बढ़ाने जैसे कई कदम उठाये हैं. ऐसे में भारत की वृद्धि दर सात से आठ प्रतिशत के बीच रह सकती है. हालांकि, युद्ध कितना लंबा खिंचता है, इस पर भी वृद्धि निर्भर करेगी.

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